यह बात में 1989 90 की बता रहा हूं जब मैं महानगर क्षेत्र से 18 साल बाद हुए सभासद के चुनाव में विजय हुआ और उसके बाद जब मालूम हुआ की महापौर के चुनाव में पैसा मिलता है वोट देने पर उस समय प्रदेश में मुख्यमंत्री से स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी जी और दिल्ली में सरकार थी कांग्रेस की नारायण दास जी से कहा गया था 18 साल बाद स्थानीय निकाय के चुनाव हुए हैं किसी भी हालत में लखनऊ का मेयर कांग्रेस का ही होना चाहिए मैं भी एक क्षेत्र से जीत के गया था महानगर से शुभ मैं भी देख रहा था क्या हालात है क्या माहौल है आखिर में पता चला सब कांग्रेस की ओर दौड़ रहे हैं और सब पैसा बांट कर लखनऊ के महापौर के प्रत्याशी बनना चाहते हैं इसमें कांग्रेस के नेता तो थे ही पैसे वाले लोग थे साथ में दाऊद इब्राहिम जैसे कुख्यात लोगों के रिश्तेदार भी लगे हुए थे मैं अचरज में था मैं पत्रकार था अचानक चुनाव जीत गया था नारायण दत्त तिवारी जी दिल्ली की ओर देख रहे थे और लखनऊ में दाऊद इब्राहिम से लेकर हाजी मस्तान सरीखे तमाम ओं प्रादेशिक माफिया इस चुनाव में सक्रिय थे और सब अपने-अपने प्रत्याशियों को टिकट दिलाना चाहते थे मैं भी मुफ्त चुपचाप इस पूरे माहौल को देख रहा था जगह-जगह दावते हो रही थी खूब आओ आबू भगत हो रही थी इसी बीच माफिया ओम प्रकाश श्रीवास्तव से लेकर दाऊद इब्राहिम तक पंडित नारायण दत्त तिवारी जी के आसपास टहल रहे थे खुली निगाह से देख रहा था मैं पत्रकार था अचानक चुनाव से 2 दिन पूर्व दिल्ली से फरमाना आया के दाऊजी गुप्ता को टिकट दे दिया गया है इनको नारायण दास जी आप किसी भी हालत में जीता ना है बाकी सब मेयर के प्रत्याशी तो इधर उधर हो गए बच्चे से दाऊजी गुप्ता उस समय सभासद ही मेयर का चुनाव करते थे जो आज सीधे होता है वह पहले सिर्फ सभासदों के हवाले था इसलिए सभासदों को पैसे पर सौदा किया जाता था मुझको यह सब कुछ नहीं मालूम था मैं तो स्वतंत्र भारत अखबार में पत्रकारिता कर रहा था अचानक चुनाव से 1 दिन पहले नारायण दत्त तिवारी जी ने सभासदों को बुलाकर यह जानकारी दी कि दाऊजी गुप्ता जो 18 साल पहले भी लखनऊ के मेयर से उनको टिकट मिल गया है कांग्रेस से और उन्हीं को जिताना है अब यह सब मामला मेरी समझ में नहीं आ रहा था सुखी नारायण दत्त तिवारी जी मेरे घर के बगल में ही महानगर में रहते थे और मेरा उनका बचपन से ही बहुत अच्छा लगाओ था वह हमको बहुत मानते थे उन्होंने हमसे कहा जाओ ताऊ जी गुप्ता को जीता दो मैं कुछ समझ नहीं पाया हमसे कहा गया सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में रात को आप लोगों की दावत है जो भी नए सभासद बनकर आए हैं मैं जब सिंचाई विभाग गेस्ट हाउस में पहुंचा तू वहां पता चला की दावत के साथ साथ पैसा बटना है मैं अपने क्षेत्र का वोट नहीं बिक्री कर सकता था लिहाजा हमने चुपचाप रविदास मेहरोत्रा को गेस्ट हाउस के पीछे बुलाया गाड़ी लेकर गेस्ट हाउस की दीवार फांद कर रात 2:00 बजे भाग निकला हमने रविदास से कहा हम वोट अपना नहीं बेचेंगे जनता ने हम को चुना है हम कौन होते हैं उनका वोट बेचने वाले उस समय कांग्रे से दाऊजी गुप्ता मेयर का चुनाव लड़ रहे थे और भारतीय जनता पार्टी से वर्तमान में बिहार के राज्यपाल श्री लालजी टंडन मेयर का चुनाव लड़ रहे थे हमने रविदास मल्होत्रा से कहा मुझे किसी भी तरह टंडन जी के पास ले चलो रात 2:00 बजे मैं लालजी टंडन जी के पास पहुंचा उनके निवास पर सोंधी टोला चौक दरवाजा खटखटाया वह निकले हमने कहा मुझे आप को वोट देना है आप पैसा तो नहीं दोगे वह बोले मैं जानता हूं मैं चुनाव हार रहा हूं अगर मैं चुनाव जीत रहा होता तो मैं जाग रहा होता मैंने कहा ठीक है मैं आप को वोट दूंगा हमारी बातें हो गई उन्होंने मुझसे कहा कि तुम सुबह 6:00 बजे आ जाओ उस समय भाजपा और सपा का तालमेल हो चुका था सपा भा जा पा को मेयर में सपोर्ट कर रही थी और डिप्टी मेयर में भाजपा सपा को सपोर्ट करती सुबह 6:00 बजे टंडन जी मुझे लेकर सीधे मुलायम सिंह यादव जी के पास पहुंचे और बोले इसको अपने दल में शामिल कर लो और जब डिप्टी मेयर का मामला आएगा तो इसको बना दिया जाएगा फिलहाल लिए हम को वोट दे रहा है टंडन जी हमारे माननीय थे और माननीय हैं उन्होंने जो कहा हमने किया मैंने लालजी टंडन जी को खुला वोट दिया लेकिन वह मेयर का चुनाव हार गए क्योंकि कांग्रेस ने पैसे के बल पर सभासदों को रात को खरीद लिया था लाखों लाखों रुपए सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में बांटे गए थे जिसके कारण सभासद बिक गए थे लाली टंडन जी ने पैसा नहीं दिया था इसलिए वह चुनाव हार गए भारतीय जनता पार्टी ने एक शर्त रखी थी कि चाहे वह चुनाव हार जाए वह पैसा नहीं देखी सभासदों को चंदन जी के हारने के बाद मैं समाजवादी पार्टी में उनके कथा अनुसार काम करने लगा और अपनी पत्रकारिता उस समय ताजी-ताजी समाजवादी पार्टी बनी थी क्योंकि उस पूरे सदन में सबसे पढ़ा लिखा मैं ही था और जब बारी आई डिप्टी मेयर के चुनाव की तो समाजवादी पार्टी में माफिया अरुणा शंकर उर्फ अन्ना जिनको मैंने बहुत ही लिखा था अखबार में मैं अपराध संवाददाता था और वह अपराधी थे वे अपने भाई कैलाश शंकर शुक्ला को डिप्टी मेयर बनाने के लिए मुलायम सिंह से बैठ गए मुलायम सिंह को अन्ना ने पार्टी बनाने के लिए पैसे दिए थे लिहाजा मुलायम सिंह इस गरीब पत्रकार को क्या देखते उन्होंने अन्ना के भाई कैलाश का टिकट पक्का कर दिया डिप्टी मेयर में जब हमने बहुत विरोध किया और उनके पैसा बांटने के मामले को खोल दिया तो अंत में मुलायम सिंह ने अन्ना से कहा कैलाश को टिकट अब नहीं दे पाएंगे बोलो क्या करें ऑडी तो बहुत बढ़ गया है इस पर अन्ना और मुलायम सिंह में यह समझौता हुआ कि लाल बत्ती रहने तो अन्ना के घर में ही है लिहाजा अन्ना के बहनोई अंगूठा टेक एक सतीश मिश्रा थे उनको टिकट दे दिया जाए और उन्हें टिकट दे दिया गया यहां पर धोखा देखिए मैं कर ही क्या सकता था जिस भारतीय जनता पार्टी के कहने पर मैंने समाजवादी पार्टी को ज्वाइन किया था उसने मुलायम सिंह से समझौता कर लिया और सतीश मिश्रा को डिप्टी मेयर बनाने के लिए राजी हो गए यह काम था लालजी टंडन का अब क्या कर सकता था मैं ना पैसा ना रुपया चुनाव हुआ हमसे बहुत कांग्रेस के लोगों ने कहा यहां तक कि रात भर मेरे पास कांग्रेस के लोग डिप्टी मेयर लड़ने के लिए पैसा लेकर घूमते रहे मेरे प्रेस तक पहुंचते रहे लेकिन मैंने पार्टी से विद्रोह करने पर इंकार कर दिया सपा भाजपा ने मिलकर एक माफिया जिसके खिलाफ मैंने जमकर लिखा था उसके घर में डिप्टी मेयर का पद दे दिया सतीश मिश्रा डिप्टी मेयर बन गए और मैं सड़क पर आ गया कुछ साल बीते मैं चुपचाप अखबार में नौकरी करता रहा अचानक पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र अखिलेश दास कहीं से मैदान में आए और उन्होंने दाऊजी गुप्ता के खिलाफ पैसा लगाकर अविश्वास प्रस्ताव तैयार करवा दिया सभासदों को खरीद लिया अविश्वास प्रस्ताव सदन में लाया गया दाऊजी गुप्ता 95 96 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटा दिए गए दाऊजी गुप्ता काबिल और पढ़े लिखे व्यक्ति थे वह ठीक-ठाक कार्य भी कर रहे थे सब को लेकर चल रहे थे हटा दिए गए अब मामला आया फिर मेयर का चुनाव घोषित हुआ बस यही से लखनऊ की दुर्दशा शुरू हो गई इस मेयर के चुनाव में प्रत्याशी बने स्वर्गीय अखिलेश दास और इनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव लड़ाया लेकिन चुनाव से 1 दिन पहले प्रदेशभर के माफिया ओम प्रकाश श्रीवास्तव रंजीत श्रीवास्तव सहित तमाम खलीफा पैसा लेकर अखिलेश दास के पक्ष में चरण होटल निराला नगर में बैठ गए और उनको जितने सभासद चाहिए थे उनको घरों से उठाकर पैसों पर खरीद लिया और बंदूक की नोक पर होटलों में बंद कर दिया जिसका विरोध रात को तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ईमानदार प्रकाश सिंह ने किया लेकिन क्योंकि उस समय प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था और मोतीलाल वोरा राज्यपाल थे दिल्ली से प्रकाश सिंह को आदेश दिया गया कि वह इस चुनाव में ना बोले माफियाओं को अपना काम करने दे मजबूरन प्रकाश सिंह ने अपना हाथ हटा लिया राजभर मैं जितने सभासद चाहिए थे अखिलेश दास को वह पकड़ लिए गए और उनको पैसा देकर होटलों में बंद कर दिया गया इस बार में स्वतंत्रता मैंने 1 सप्ताह पूर्व भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली थी लालजी टंडन दिनेश शर्मा जी मुझे लेकर कलराज मिश्रा जी अध्यक्ष से प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के उनसे मैंने भाजपा ज्वाइन कर ली लिहाजा यह माफिया रात भर मुझे धमकाते डराते रहे लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा चुनाव वाले दिन सुबह वर्तमान में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जी के साथ मैं गया और मैंने खुला वोट भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विद्यासागर को को दिया बस यही पर मेरी एक जीवन में सबसे बड़ी गलती हो गई मुझको अखिलेश दास लाखों रुपए दे रहे थे रुपए न लेने पर बंदूकों से धमकी भी दी गई लेकिन मैं हारा नहीं मैं डरा नहीं मैं उनकी धमकी में नहीं आया अटल जी उस समय वोट डालने आए तो मैंने अखिलेश दास को खुला वोट दिखाकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विद्यासागर को वोट दिया वैसे भी मैं भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर चुका था आज भी मैं भारतीय जनता पार्टी में हूं लेकिन अफसोस यह हुआ कि विद्यासागर तो चुनाव हार गए क्योंकि उन्होंने पैसा बांटा नहीं था और अखिलेश दास ने करोड़ों रुपए का खेल कर दिया था रात को अखिलेश दास चुनाव जीत गए बस यही से लखनऊ की बर्बादी शुरू हो गई हमको खुली धमकी दी गई या तो लखनऊ छोड़ दो या किनारे बैठ जाओ मैं महानगर छोड़कर भाग निकला उसका कारण था मेरी जान को खतरा बन गया जो भी अखिलेश दास के करीबी थे उनको खूब पैसा कमाने लगे बाहर से बिल्डर आ गए लखनऊ में यहां तक कि झंडेवाला पार्क तक बेच दिया गया शहर बेचा जाने लगा उस समय किसी तरह झंडे वाले पार को अमित पुरी ने हाईकोर्ट से और मैंने स्वतंत्र भारत से विरोध करके लिखकर बचाया इस पूरी प्रक्रिया में स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी ने पूरा सहयोग किया ऐतिहासिक पाठ झंडेवाला पा ऐतिहासिक पार्क अटल बिहारी वाजपेई जी की वजह से बच गया लेकिन पूरे शहर की कीमती जमीन ए खुलेआम बिकने लगी और तभी से शुरू हो गया लखनऊ में जमीनों का धंधा इसी धंधे के चलते अखिलेश दास बन गए प्रदेश के सबसे अमीर व्यक्ति और हम लोगों को बना दिया गया सबसे गरीब खूब सताया गया घर बार सब बर्बाद कर दिया गया और करते भी क्यों नहीं उनकी खुली खिलाफत जो की गई वोट भारतीय जनता पार्टी को दिया खुलेआम दिया अटल जी के सामने लेकिन आज कोई पूछने वाला नहीं है जो भी आदमी अखिलेश दास के थे व्याज अरबपति बन कर बैठ गए आज हम लोगों को कोई पूछने वाला भी नहीं है क्योंकि अखिलेश दास को अखिलेश को शहर की कीमती जमीन बेचने में सहायक हो गए कथित भा जा पा के और समाजवादी पार्टी और बसपा के लोग इसके आगे की कहानी में जारी रखूंगा ऑडी शुक्ला
नहीं खरीद पाए अखिलेश दास आरडी शुक्ला को