कुदरत से टकराने का दंड भोग रहे हैं दुनिया के इंसान आरडी शुक्ला की कलम से

 आज दुनिया का इंसान जो भोग रहा है उसके पीछे उसी के कर्म है पिछले 50 सालों से देख रहा हूं भारत  ही नहीं पूरी दुनिया के देश और वहां रहने वाले लोग कुदरत को भूलते जा रहे हैं धीरे धीरे कुदरत की दी गई सभी चीजों को बर्बाद कर रहे हैं कुदरत  मैं इंसान को हर वह चीज दी जिससे वह जी सके और सुंदर जिंदगी जी सके इंसान ने अति सुंदर जिंदगी जीने के लालच में कुदरत से टकराव शुरू कर दिया जाने अनजाने वह वह अपने धार्मिक संस्कारों को भी किनारे करता गया इन सबके चलते उसने अपनी सुख सुविधा  के लिए इतना अत्याचार पापा 4 करने लगा और प्रकृति को उजाड़ उजाड़ कर पाप के अड्डे बनाने लगा कुदरत ने हमें सांस लेने के लिए हवा दी जल दीया सूर्य दिया जिससे हमें प्रकाश मिलता है हम इंसानों ने धरती को खोखला कर दिया हवा को प्रदूषित कर दिया जल पर लोहे के जहाज दौड़ा-दौड़ा कर उसको भी प्रदूषित कर दिया आकाश में उपग्रह छोड़ छोड़ कर ऐसा जाल  बिछा दिया और ऊपर भी राकेट छोड़ छोड़ कर उसे भी प्रदूषित कर दिया इंसान तो कमाई का साधन ढूंढता है उर्दू स्क रहता है और इसी सब चक्कर में उसने पूरी दुनिया को जलवायु परिवर्तन जैसे भयंकर संकट में डाल दिया आज हम करो ना महामारी से बुरी तरह जूझ रहे हैं उसका कारण साफ दिखाई दे रहा है हम अपनी खुली आंखों से अगर देखें सोचे इस सब के जिम्मेदार हम हैं आज आप देखें दुनिया के सबसे अमीर देश अमेरिका फ्रांस इटली ब्राजील ब्रिटेन चीन इस करो ना बीमारी से सबसे ज्यादा पीड़ित है वहां यह रोग बढ़ता जा रहा है शुक्र है भगवान का यह हमारे भारत में उतना गंभीर रूप नहीं ले पाया जितना किसने अमीर देशों को ले लिया आप सोचें धनबल से पूर्ण रूप से संपन्न  इन देशों में कुदरत  के एक रोगाणु ने कितनी तबाही मचा दी जबकि इन अमीर देशों के पास किस चीज की कमी है यह वह ताकत है जो दुनिया को बारूद के ढेर पर बैठा ले हुए हैं इनका कोई कुछ बाल बांका नहीं कर सकता था और यह चाहते तो दुनिया को मिनटों में उड़ा सकते थे लेकिन कुदरत की एक चाल  ने दुनिया भर के इंसानों को बदल दिया इतना भय व्याप्त हो गया कि दुनियाभर के देश भगवान को याद करने पर मजबूर हो गए जो बीमारी आई  वह अदृश्य है उसकी आज तक कोई दवा भी नहीं निकली और ना ही फिलहाल निकलने की उम्मीद है दुनिया भर में लोग घरों में कैद है मुंह में कपड़ा बांधे हैं आपस में दूरी बनाकर चल रहे हैं फिर भी बीमार होते जा रहे हैं उसका कारण जो मैं अपने पूरे जीवन के 70 वर्षों में देखा और  पाया कि यह बड़े विकसित देश अपने धन बल के बल पर दुनिया को लूटते रहे हम भारत जैसे देश के लोग इन बड़े देशों के  द्वारा लुटे जाते रहे क्योंकि हम लोग कमजोर थे इनके पास हथियारों के जखीरे  मौजूद है यह दुनिया भर के छोटे देशों को दबाते रहे  और उन को लूटते रहे इन लोगों के पास इतना पैसा हो गया कितना हथियार हो गया यह ऐसो आराम में डूब गए इस कदर डूब गए अब जब होश आया और कुदरत ने करवट बदली तो इनको भगवान समझ में आया यह लोग पैसे के बल पर मौज लेते लेते इतने कमजोर हो गए कि आज एक मामूली से कीटाणु ने इन को तबाह करना शुरू कर दिया जिसकी दवा तक नहीं बना पा रहे हैं इलाज नहीं ढूंढ पा रहा है जबकि इनका इरादा कुदरत के बनाए हर नियम कानून को दरकिनार कर अपना कानून लागू करना शुरू हो गया था आसमान में भी धरती पर भी और जल में भी अब इनके गोले बारूद क्या कर रहे हैं क्यों नहीं करो ना वायरस पर यह मिसाइल दाग दे अब दुनिया के हालात ऐसे हो रहे हैं कि आप सबको लग रहा है दुनिया भगवान ही चलाता है उससे लड़ना टकराव करना बहुत भारी पड़ सकता है बीच में  इंसान यह भूल गया था वह सच को भूल गया था आज आप स्वयं देखें आंकड़े बताते हैं कि हम भारत के लोग अगर इन विदेशियों के चपेट में ना आए होते तो शायद हमारे यहां इस  बीमारी का कोई असर भी ना होता आप स्वयं सोचें जब एक भारत  का श्रमिक मुंबई से बिहार तक पैदल चल कर आ सकता है तो उसको यह बीमारी क्या असर करेगी हां विदेशियों के चक्कर में हमारे कुछ प्रदेश इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं लेकिन यहां यह बहुत जल्दी  काबू कर लिया जाएगा उसका कारण है भारतवासी अमीर देशों की तरह पैसे वाला नहीं है यहां के लोग मेहनती हैं बड़े देशों की तरह मौज मस्ती वाले नहीं हैं यहां के लोग उतने नाजुक नहीं है ना ही यहां के लोगों ने इतने पाप कर रखे हैं कि उनको कुदरत दंड दे या भगवान सबक सिखाएं यहां के लोग हमेशा कुदरत की पूजा करते हैं यही कारण है जिस महामारी से पूरे विश्व के महानतम देश बलशाली  देश अब  अब तड़पने लगे हैं बेचैन हो गए हैं परेशान हो गए हैं उस समय भी हम भारतवासी अनुशासित होकर अपने नेताओं पर विश्वास करके लॉक डाउन का पालन करते हुए धीरे-धीरे बदल रहे हैं अपने आप को इसके देश के संस्कार ही ऐसे हैं जहां धर्म का राज है और यहां लोग किसी भी धर्म जाति के हो अपने धार्मिक क्रियाकलाप नहीं छोड़ते यहां के लोग अति मौज मस्ती में नही  पढ़ते हां यह सत्य है कि भारत में भी पाश्चात्य देशों का पिछले दो-तीन दशकों में काफी प्रभाव पड़ा यहां की आबोहवा भी काफी खराब हो गई देश से ईमानदारी खत्म हो गई थी पाप कर्म बहुत बढ़ गए थे वह तो कहिए देश की सरकार मोदी जैसे व्यक्ति के हाथ में आ गई यह भी कुदरत की ही देन है नहीं तो आजादी के बाद आए तो बहुत नेता पर वह बड़े देशों के गुलाम बने रहे उनके सामने झुकते रहे और झुके क्यों ना धनबल तो उनके पास है लेकिन यह नेता मोदी जिसने सभी अमीर धनबल वाले बड़े देशों को अपनी राजनीति और कूटनीति से झुका कर दिखा दिया आज उसके नेतृत्व में भारत चौतरफा संकटों के बावजूद सबसे ठीक दिखाई दे रहा है और अगर आत्मनिर्भर भारत की बात शुरू हो गई और उसने जोर पकड़ लिया तो निश्चित समझ लीजिए कि भारत विश्व में गुरु तो बनेगा ही धनवान और बलवान भी बन जाएगा ऐसा स्पष्ट दिखाई दे रहा है आज संकट के समय में भी जबकि सीमा और देश के भीतर दुश्मनों का जलसा बिछा हुआ है उसकी परवाह न करते हुए देश विकास कर रहा है और दुनिया में नाम कर रहा है हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों ने पूरी दुनिया में हो रही उथल-पुथल से हम लोगों को बचा रखा है आज हमारे संस्कारों को लेकर दुनिया के बलशाली देश अपने को बचा रहे हैं और नमस्कार कर रहे हैं अब लगता है यह बलशाली देश जिन्होंने बारूद का ढेर लगा रखा है उसको बरसने का क्या समय आ गया यह देश अंत में अपने ही बनाए बारूद के शिकार होंगे और नष्ट होंगे भारत में हमेशा भगवान ने अवतार लिया और जब जब जरूरत पड़ी भगवान ने वैसे ही वैसा अवतार लेकर इस देश को बचाया साथ में दुनिया को बचाया लगता है दुनिया में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने का भारत का समय आ गया है इस समय सीमा पर और देश के भीतर जो संकट पैदा हुए हैं वह जल्दी खत्म हो जाएंगे इस देश  मैं अमन चैन कायम होता जा रहा है अभी जरूर हम चौतरफा संकट में हैं लेकिन बहुत जल्दी भगवान के नुमाइंदे इस सब से हम लोगों लोगों को निजात दिलवा देंगे बस भगवान हम लोगों के घर और सब्र की परीक्षा ले रहे हैं हम लोगों का तो शोषण यह बड़े देश सदियों से करते आए हैं लेकिन फिर भी भारत और यहां के लोग देश के साथ रहे देश में एकता बनी रही और भगवान का आशीर्वाद मिलता रहा जब यहां जैसे अवतार की जरूरत पड़ी जिस रूप में पड़ी भगवान आते रहे तो अब क्या इस संकट की घड़ी में वे किसी रूप में प्रकट नहीं  होंगे यह भी तो हो सकता है वे यहां आ चुके हो और हम प्राणी उनको जान नहीं पा रहे हैं लेकिन समय आने पर आप जान जाएंगे दुनिया तो विनाश के रास्ते पर जा रही है लेकिन पूरी दुनिया थोड़े खत्म हो जाएगी खत्म तो केवल राक्षस होंगे उनका वक्त आ चुका है चाहे वह किसी रूप  दुनिया के किसी कोने में हो उनको भगवान अपना शिकार निश्चित बनाएंगे हर भारतीय निश्चित समझ ले कि उसका समय ठीक आने वाला है यह जितने भी पापी देश हैं उनका खराब समय शुरू हो गया है उन्होंने  पूरी धरती खराब की पूरे अकाश पर कब्जा किया पूरे समुद्र पर असंख्य जीव जंतुओं को मार डाला गया असंग पेड़ पौधों को उजाड़ कर कंक्रीट के चादर ओढ़ा दी गई कुदरत को इतनी चोट पहुंचाने वालों को सजा तो मिलनी ही थी और वह मिल रही है हमको अपने जीवन में इस तरह कुदरत का  न्याय करने की बात देखने को मिल रही है यह हमारा सौभाग्य है वैसे इसकी उम्मीद नहीं थी अभी  हमारे विचार जारी रहेंगे पढ़ते रहिएगा

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