खबर के कारखानों का अपराधीकरण आरडी शुक्ला की कलम से

राजनीति में अपराधीकरण तो आपने सुन देख लिया होगा लेकिन मैं आज आपको बता रहा हूं की खबर के कारखानों जिसमें अखबार और चैनल सोशल मीडिया सभी आते हैं उनका भी अपराधीकरण हो चुका है वह भी अपराधियों और माफियाओं द्वारा राजनीति में हावी होने के बाद किया गया है राजनीति में वर्चस्व स्थापित करने के बाद इन लोगों ने मीडियम की चमक दमक देख राजनीति मैं इस पर कब्जा जरूरी समझा और 2000 के बाद धीरे धीरे राजनीति में पूर्ण पूरी तरह कब्जा जमाने के बाद मीडिया में हाथ मारना शुरू कर दिया अखबारों में पहले ही से ही यह अपना धन लगा रहे थे अपने गुर्गों को मैं असलम के मीडिया संस्थानों में बैठा लेते थे पिछली सरकारों में इनके बनाए संस्थानों में मीडिया का काम कम इनके काम ज्यादा होते थे हां एक बात अवश्य थी इनकी दाल देश के प्रतिष्ठित और नामी-गिरामी प्रिंट मीडिया और चैनल को यह कब्जे में ना ले सके थे ना ही इनके गुरु के वहां तक पहुंच पाए थे वहां साफ-सुथरी पत्रकारिता पहले भी होती थी और आज भी हो रही है इन्होंने अपने छोटे भैया समाचार पत्र और चैनल शुरू किए सोशल मीडिया में कब्जा किया यहां पर अपने पत्रकार बनाने लगे उनको फर्जी कार्ड देकर अपने अपराधिक कृत्य मैं शामिल करने लगे पत्रकार बनने की लालच में युवा वर्ग भी काफी इनकी ओर आकर्षित होने लगा यह उनका दोहरा उपयोग करते थे एक तो मीडिया के नाम पर और दूसरा अपने गुर्गे के रूप में अभी आपको मालूम होगा कि हाल ही में तमाम ऐसे अपराधिक मामले निकले जिसमें कोई न कोई कथित पत्रकार शामिल था यही नहीं देश के दुश्मनों को अपने देश की सैनिक गतिविधियों के बारे में जानकारी पहुंचाने के मामले में एक पत्रकार गिरफ्तार हुआ और प्रदेश ही नहीं देश के तमाम भागों में इन अपराधियों के बनाए पत्रकार तमाम जगह पकड़े जाते हैं प्रदेश और देश के तमाम अपराधिक घटनाओं में यह कथित पत्रकार शामिल पाए जाते हैं वैसे भी प्रदेश में माफियाओं के बनाए हुए कथित पत्रकार वक्त पड़ने पर अपने आकाओं की मदद के लिए कार्य करते हैं इनकी आफत तो 2014 के बाद शुरू हुई जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी और इनको दिल्ली मुख्यालय से भागना पड़ा और जो लखनऊ में डेरा जमाए थे उनको 2017 में योगी जी के यहां पदभार संभालते ही भागना पड़ा आज भी तमाम अपराधिक घटनाओं सनसनी फैलाना सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाना चैनल बना बना कर इन्हीं के कथित पत्रकार करते हैं सरकार को चाहिए एक बार जिस प्रकार सांसद विधायक अपराधियों के गैर कानूनी ढंग से अर्जित की गई संपत्ति को जप्त किया जा रहा है या ध्वस्त किया जा रहा है ठीक उसी प्रकार पत्रकारिता जगत को बदनाम करने वाले यह अपराधियों माफियाओं के गुर्गों को ठीक से चिन्हित कर पत्रकारिता से अलग किया जाए और उनको जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाए हां ठीक ढंग से जांच पड़ताल कर ली जाए और उन्हें जेल भेजा जाए अगर समय रहते सोशल मीडिया पर चैनल चलाने वालों अफवाह फैलाने वाले पत्रकारों झूठी खबर चलाने वाले चैनलों को अगर सरकार ने काबू न किया तो आगे चलकर यह रोज-रोज पुलिस और प्रशासन के लिए खतरा पैदा होंगे जो देश और प्रदेश दोनों के लिए घातक है इनकी छटाई करना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है जब प्रदेश और देश स्तर पर तमाम बड़े-बड़े माफियाओं और भ्रष्टाचारियों का अंत किया जा रहा है उन को मदद पहुंचाने वाले इन कथित मीडिया संस्थानों अखबारों चैनलों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है मैं स्वच्छ और साफ-सुथरे प्रतिष्ठित प्रिंट मीडिया संस्थानों और चैनलों के लिए इस तरह की बात नहीं कर रहा हूं मैं तो सिर्फ इन संस्थानों और चैनलों को बदनाम करने की पीछे जो अपराधी और माफियाओं के लोग जो हरकत कर रहे हैं उनकी जांच कर उनको जेल के भीतर करने की बात कर रहा हूं यह सत्य है की मीडिया के भीतर इन अराजक तत्वों की घुसपैठ है और यह लोग समय-समय पर जाति धर्म और मजहब के नाम पर प्रदेश में दंगे कराने के कारनामे करते रहते हैं