अगर अपराध खत्म करना है तो पुलिस से दोस्ती कर लो अपराध कम हो जाएंगे और हम भी सुरक्षित हो जाएंगे

आपको मेरी बात बहुत अजीब लग रही होगी पुलिस से दोस्ती कर लो खाकी वर्दी को अपने साथ करो जी हां अगर आज हमारा समाज हम लोग प्रदेश पुलिस के साथ पूरी तरह से सहयोग करने लगे उसे अपना मित्र शुभचिंतक समझने लगे तो शायद आधे से अधिक अपराध अपने आप खत्म हो जाएगा मैं ऑडी शुक्ला इस बात का 50 वर्षों का अपराध संवाददाता का अपना अनुभव बताते हैं कि अगर आप और आम जनता पुलिस को जिस तरह दुश्मन समझते हैं उसकी जगह अगर उनको आप अपना साथी बना ले उनको सहयोग करने लगे प्रशासन को अपना अमूल्य समय देने लगे क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों की जानकारी देने लगे मुख भरी नहीं केवल उनको क्षेत्र की जानकारी देने लगे उनसे डर ना बंद कर दे तो अपराधी अपराध करना छोड़ देंगे लेकिन आज लोगों की फितरत हो गई है की पुलिस को गाली देना उनको खराब कहना गलत कहने में अपना महत्व समझते हैं जबकि यह गलत है आप जानते हैं आज पुलिस कितनी परेशानियों के बाद भी आपकी सुरक्षा में 24 घंटे लगी रहती है कभी कोई अस्वाभाविक मामला होता है तो सबसे पहले कौन मदद के लिए आपके पास आता है आप सो नंबर फोन करते हैं इसके अलावा आपको कौन मदद करने आ जाता है और वह आने के बाद कौन सी मदद नहीं करते हर तरह की मदद करते हैं जो उनकी ड्यूटी में भी नहीं होता है वह भी वह निभाते हैं लेकिन हम क्या करते हैं सिर्फ फोन को गालियां देते हैं उनको बुरा भला कहते हैं और नेता अभिनेता को जय करते हैं आपको मालूम है संतरी से मंत्री है मंत्री से संत्री नहीं है मैंने जो 50 साल में अनुभव किया है और देखा है कि हर वक्त यह वर्दी वाले आपकी सेवा में लगे रहते हैं आप इन को गाली देते रहते हैं अपराधियों के बारे में नहीं बताते आप सोचो कहीं अपराध होता है तो क्या पुलिस तुरंत नहीं पहुंचती और पहुंचती है तो क्या अपना काम भी नहीं करती लेकिन जब आप राज की भूमिका बन रही होती है तो क्या समाज या क्षेत्र के लोग कभी पुलिस को पूर्व में कुछ बताते हैं नहीं बस यही कमी है हमारे लोगों में आपको मालूम है एक अपराधी को 5000 आप दे दो आपके दुश्मन को खत्म कर देगा आपका दुश्मन 10000 दे दे वह आप को खत्म कर देगा लेकिन क्या पुलिस ऐसा करती है कभी नहीं उसकी मजबूरी है वह नौकरी कर रही है वर्दी पहने हुए हैं उसको अपना जीवन पर्यंत नौकरी करनी है बाल बच्चे पालने उसको अपराधियों की तरह इतना गलत नहीं करना है कि उसकी नौकरी चली है और उसके बाल बाल बच्चे ना जी सकें तो आप सोचें कि क्या यह वर्दी पहनने वाले लोग अंदर से भी इतना ही क्रूर होते हैं जितने दिखते हैं नहीं उनसे कोमल ह्रदय वाला कोई नहीं होता है अगर आप उनके अंदर आत्मा को पहचानना जाने तो आपको यही मालूम होगा कि वह इतने मासूम दिल के होते हैं कि बड़े से बड़े मामले में शांत रहकर अधिकारियों नेताओं की गालियां जनता की सुनकर नौकरी करते हैं हर हालत में वह वह अपने क्षेत्र में अपराध नहीं होने देते यह बिल्कुल गलत है पुलिस अपराध कर आती है कभी भी कोई पुलिस वाला अपने क्षेत्र में अपराध नहीं कराता कोई पुलिस वाला जनता की f.i.r. ना लिखना उचित नहीं समझता लेकिन मजबूरी है कि अगर उसको थाने में डांटा न जय हो टाइट किया ना जाए तो शायद वह पता नहीं आना आप सुनाओ इतनी झूठी f.i.r. मुकदमे दर्ज करवा दिए जाएंगे कि उनको कोई देख भी नहीं पाएगा सही हर वारदात को लिखते हैं अब यह भी सच है कि कुछ प्रतिशत तो गलत भी हैं हर जगह है सादी वर्दी में काम कर रहे हैं बड़े-बड़े अधिकारी से लेकर नीचे तक गलत है उनके खिलाफ बगावत क्यों नहीं होती आज यह जो आप प्रेस अखबार मीडिया देख रहे हैं अगर उनकी रक्षा यह पुलिस वाले ना करें तो शायद यह कक्षा भी लिख भी नहीं सकते यह मेरा विश्वास नहीं यह सत्य है मैं 50 वर्षों से देख रहा हूं आज भी वह हमारी जान बचा रहे हैं और हम उन्हीं के खिलाफ लिखने में बड़ा मजा लेते हैं यह कहां का न्याय है मैं दावे के साथ कहता हूं कि जितना पैसा माफिया और अपराधियों के पास है उसका 1% भी इन पुलिस वालों के पास नहीं है इनके पास है क्या खिलाने को अपराधियों को नई प्रेस को खिला सकते हैं ना यह पब्लिक को खिला सकते हैं हां अपराधियों और माफियाओं के पास इतना पैसा है इतनी हैसियत है कि वे पुलिस के खिलाफ हर दूसरे तीसरे मामले में प्रेस और जनता से बगावत करवा देते हैं कुछ ना कुछ गलत लिखवा देते हैं हम लोगों के समय में ऐसा नहीं होता था हम लोग पुलिस के साथ रहते थे और पुलिस की मदद करते थे आज तक सुरक्षित भी इसीलिए है कि हम लोगों ने प्रशासन शासन सरकार की मदद की अपराधियों भ्रष्टाचारियों बेईमानों का खुलकर विरोध किया उनके खिलाफ कितना लिखा कि वे आज हमको पा जाए तो जिंदा न छोड़ें तो आप सोचें हम लोग जिंदा कैसे हैं चेक पुलिस की वजह से प्रेस जिंदा है पुलिस की वजह से सब कुछ तो पुलिस की वजह से  आज सड़क पर लोग मर रहे हैं दुर्घटनाओं में तो पुलिस का काम नहीं है कि हेलमेट पहना बाय लेकिन यह काम भी वह कर रही है किसके लिए कर रही है जनता के लिए तो क्या समाज का हर वर्ग का व्यक्ति हर जाति धर्म का व्यक्ति हर विभाग का कर्मचारी यह काम कर रहा है जनता के हित में सोच रहा है सीमा पर वर्दी मर रही है चाहे वह सेना की हो देश के अंदर खाकी वर्दी मर रही है देश के भीतरी भाग को बचाने के लिए और हम आप क्या कर रहे हैं आप भी जानते हो और हम भी जानते हैं पुलिस को बदनाम करने में उसको हतोत्साहित करने में उसको परेशान करने में क्या ऐसा उचित है कोई पुलिस का दलाल नहीं हूं ना ही मेरे ऊपर कोई मुकदमा है और ना ही मेरे को कोई दलाली करनी है या किसी को छुड़ाना है लेकिन फिर भी कहूंगा कि जब तक पुलिस को अपने गले नहीं लगाओगे उनको अपना दोस्त नहीं बनाओगे अपराध से छुटकारा नहीं पाओगे हम लोगों ने ऐसा किया था और सारे अपराधियों का सफाया करवा दिया था आप से भी निवेदन है कि कृपया अपनी पुलिस पर भरोसा रखें प्रशासन शासन सरकार पर भरोसा रखें अपराधियों के खिलाफ इनकी मदद करें आप देखिएगा किधर आपने एक बार इस तरह ठान लिया और जगह-जगह मोहल्ले मोहल्ले गली गली पुलिस को समर्थन मिलने लगा तो यह अपराधियों का नामो निशान मिट जाएगा अगर आप चाहते हैं कि अपराध विहीन समाज बने तो खुल के पुलिस का साथ दें उससे दोस्ती करें देने को उसके पास अपने वेतन के अलावा कुछ नहीं है अपराधियों के पास अथाह पैसा है उन पैसों के लालच ना करें अपनी पुलिस को गले लगाएं उनके अच्छे काम में उनका स्वागत करें फिर देखिए अपराधिक कैसे भागते हैं आपका आईडी शुक्ला