लखनऊ में नवाबों के दौर के खत्म होते ही हम लोग आ गए थे और उनकी विरासत हम लोगों ने अपने पास रख ली जिसको आज तक लोग खोज रहे हैं उनको वह रंगीली अत नहीं मिल रही है जो नवाबों के समय में थी उस समय की नफासत और नजाकत उसका आनंद सिर्फ आम लोगों ने लिया आज तो उनके निशा बड़े-बड़े कलाकार अमिताभ बच्चन जैसे सर उनके सड़कों पर खोज रहे हैं और उन्हें नहीं मिल रहा है हम लोगों ने तो उन लोगों के साथ दिन काटे मौज ली मस्ती ली रंगीली यत की जिंदगी जी यह उन्हीं से सीखी है नवाबों से

  1. दोस्तों आज अमिताभ बच्चन हो फिल्मीस्तान का कोई कलाकार लखनऊ के नवाबों के बारे में सब फर्जी गणित लगा रहे हैं उनको कुछ नहीं मालूम हम लोग जब सब 1950 में आए तो नवाब यहां से जा रहे थे लेकिन खत्म नहीं हुए थे सब के सब यही बसे हुए थे और हम लोग उनके साथ रहते थे रंगीली अत उनके अंदर थी शराफत उनके अंदर थी नजाकत उनके अंदर थी इंसानियत उनके अंदर थी वैसे कि उनको कोई कमी नहीं थी आज की तरह लखनऊ की लफा जी तो थी नहीं सिर्फ यहां मौज मस्ती थी हम लोग भी आकर बस गए थे उन्हीं में समा गए थे आए तो महानगर में कॉलोनी बन गई वहां स्कूल खुल गया महानगर वॉइस पहले 10 में छात्रों में मैं था उसके बाद वहां से पुराने लखनऊ में लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज में चला गया जहां पूरी रंगीली अत का माहौल था कोई बदमाशी नहीं कोई गुंडई नहीं यहां सिर्फ लखनऊ में रंगीली अत का ही माहौल था चौक नखास में सिर गाने बजाने का काम होता था जहां नवाबों की बगिया रात को आकर रुकती थी जब उनकी सवारियों ने आना बंद किया तो हम लोगों की सवारियां जाने लगी वह मोटरसाइकिल हो या स्कूटर्स साइकिल हो या रिक्शा वहां सबसे ज्यादा हम ही जाते थे सबसे ज्यादा नवाबों का असर हमारे ऊपर पड़ा लखनऊ विश्वविद्यालय गए वहां भी नवाबों का पूरा सर था नवाबों का लखनऊ विश्वविद्यालय में वहां भी किसी तरह का कोई खुराफात नहीं था हम लोगों के अंदर तो इस तरीके से नवाबी अत घुस गई अगर शाम को गजलों की शाम नहीं हुई तो कुछ अच्छा नहीं लगता था रोज रात नवाबों की तरह ही गुजरती थी बहुत अच्छा लगता था लो जवानी में लड़कियों से तो ऐसी संगति थी कि लगता ही नहीं था क्या हम लोग कोई गलत कार्य कर रहे हैं संगीत में डूबे रहते थे संगीत ही हम लोगों की जिंदगी थी लखनऊ में पहले चौक में संगीत उसके बाद सरकार ने दूरदर्शन बना दिया और आकाशवाणी फिर शुरू हो गया मुंबई का फिल्म कार वहां तक तो मैं नहीं जा पाया लेकिन लखनऊ में बिना रोज शाम किसी कार्यक्रम के बगैर नहीं गुजरती थी जब तक की किसी स्टेज पर नाच गा नहीं लेते थे लगता ही नहीं था हम लखनऊ में आप सब को यह समझ में नहीं आ रहा होगा क्योंकि लखनऊ के नवाब भी रोज कोठे ऊपर संगीत सुनने जाते थे उसके बाद हम लोग कोठों से हटकर किसी ने किसी मंच पर संगीत कार्यक्रम का आयोजन करते थे अब वहां पर संगीत के कार्यक्रम में लड़कियों का ना होना असंभव था सोहम लोगों का हजारों हजार युवतियों से सीधा संबंध था लखनऊ में जो भी कलाकार युवक-युवती होती थी हम लोगों के साथ गाते बजाते थे दिन भर हम लोग पढ़ाई करते थे रोसा एंड हम लोग कार्यक्रम करते थे यही काम तो नवाब करते थे मुझे अपनी विरासत छोड़ गए थे उसको हम लोग कर रहे थे पूरा उन्हीं से सीखा था उन्हीं के राग और रंग में थे वह भी दिन भर काम करते थे सल्तनत चलाते थे और रात को मुजरा सुनते थे हम लोग दिनभर पढ़ाई करते थे काम करते थे और शाम को कहीं ना कहीं गजलें सुनते थे या संगीत के कार्यक्रम में भाग लेते से खुद गाते बजाते हुए थे बहुत शांति और बहुत आनंद था लखनऊ की नजाकत शराफत और इंसानियत ने दुनिया में झंडा गाड़ रखा था उसी का कारण तो याद है की पूरी माया नगरी फिल्म नगरी लखनऊ में उसके निशान ढूंढ रही है उनको नहीं मिलेगा वह नवाबों की बातें वह रंगीली यत वह रंगीन रातें और रंगीन दिन जो लखनऊ में बीते थे और उसमें हम लोग शामिल रहते थे सबसे आगे रहते थे वह कहां खोज पाएंगे सड़कों पर नहीं मिलेंगे वह हम लोगों के दिलों में है आज भी है आज भी हम लोग बहुत रंगीन है खूब आनंद है यह कोठियां यह बंगले यह पैसा लेकर घूमने वाले लोग ठग बेईमान भ्रष्टाचारी लखनऊ की नजा पथ नफासत यहां की इंसानियत को नहीं पापा आएंगे हम लोग तो आजकल एक अलग दुनिया में रह रहे हैं जहां तक यह लोग पहुंच भी नहीं सकते सिर्फ और सिर्फ अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव में अच्छे लोगों के साथ रहते हैं अच्छी बातें करते हैं पुरानी बातें करते हैं और लखनऊ को जिंदा रखने की कोशिश करते हैं नए लोग तो लखनऊ को बर्बाद करने के लिए दिन रात लगे हुए हैं हम लोग लखनऊ को जिंदा रखने के लिए उसका नाम जिंदा रखने के लिए अपनी जिंदगी के आखिरी दिनों में भी जुटे हुए हैं और मरते दम तक जुटे रहेंगे हम जारी रखेंगे लखनऊ के बारे में बताना लोगों को खोजने दीजिए कि लखनऊ क्या था वो क्या है और क्या होगा हम लोग सब जानते हैं कि लखनऊ क्या था लखनऊ क्या है क्या हो गया है


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