संगीत की दुनिया से कैसे पहुंचा इस खून खराबे की दुनिया में आरडी

आपको यह जानकर बहुत हैरत होगी के अपराध की दुनिया में पहुंचने से पहले मैं ऑडी शुक्ला संगीत की दुनिया में किस तरह आनंद ले रहा था अचानक भाग्य ने ऐसा पलटा मारा कि मैं उस खून खराबे की दुनिया में पहुंच गया जहां गलत और गलत के अलावा और कुछ नहीं होता था यह बात है 1980 की जब मैं स्वतंत्र भारत अखबार में पत्रकार बनने पहुंच गया उस समय से पहले मैं संगीत की दुनिया में मस्त था मैं जानता भी नहीं था कि अपराध की दुनिया में होता क्या है अचानक मेरे गुरु जो संगीत में हमको आगे ले जा रहे थे और मैं उनके साथ रोज संगीत की महफिलों में कार्यक्रम दिया करता था गिटार बजाता था कांगो ड्रम बजाता था अचानक हमारे उस्ताद छवि विश्वास जी कैंसर की वजह से स्वर्गवासी हो गए वह भी मेरी गोद में उससे पहले तो मैं सोचता था कि मुंबई जाना है और संगीत की दुनिया में मौज लेनी है लेकिन क्या बताऊं सभी दादा की मौत हो गई और मैं वकालत और इधर उधर भटकने लगा अचानक मेरी मुलाकात के वकीलों से हुई वकालत करने लगा मन नहीं लगता था इस धंधे में क्या करता बहुत जूनियर था तो कोई बढ़िया क्लाइंट भी नहीं मिलता था अचानक एक दिन हमको एक मित्र पत्रकार अशोक त्रिपाठी हाई कोर्ट में मिले उन्होंने मुझसे पत्रकार बनने को कहा और कहा कि मेरा एक काम करवा दो उनके साथ एक महिला मित्र थी उनकी बोल इसका मकान खाली करा दो मैं तुमको पत्रकार बना दूंगा पता नहीं कहां से मेरे अंदर पत्रकारिता का जुनून था मैं बहुत पहले शेर पायनियर स्वतंत्र भारत नवजीवन नेशनल हेराल्ड अखबारों में पत्रकारों के साथ उठा बैठक करता था अशोक त्रिपाठी जी पायनियर में टेलीफोन एक्सचेंज में जो बाद में स्थानी तरुण भारत समाचार पत्र में संवादाता बन गए थे मेरी मुलाकात थी मैं वकालत में लोगों से जबरन पैसे वसूली नहीं कर पा रहा था सो हमने उनसे कह दिया कि मैं उनका काम करा दूंगा वह मुझे पत्रकार बना दें वही वह मैंने उनका काम कराया उन दिनों मेरे पास यह असली मोटरसाइकिल थी और मोटरसाइकिल बहुत कम हुआ करती थी उस समय वह मुझे रोज तरुण भारत पर्स राजेंद्र नगर में बुलाने लगे यदा-कदा इधर उधर जाने लगे बोले यही धीरे-धीरे तुम्हारा काम हो जाएगा तुम बन जाओगे मेरी समझ में नही आया मैं भटक रहा था शो में उनके तरुण भारत में जाने लगा तरुण भारत संध्या अखबार था खूब बिकता था मैं रोज उनके दफ्तर जाने लगा उनको जरूरत होती तो मेरी मोटरसाइकिल पर बैठकर ओ रिपोर्टिंग करते थे 1 दिन अचानक उन्होंने कहा खबर मिली अमीनाबाद बाजार में कुछ हो गया है और जल्दी चले मैंने उनको गाड़ी पर बैठा ला और अमीनाबाद पहुंच गया अमीनाबाद थाने से पहले पुलिस वालों ने हम को रोकने की कोशिश की मैं पूरी रंगबाजी में था कि पत्रकार के साथ हूं सो मैंने गाड़ी नहीं रोकी एक पुलिस वाले को टक्कर लग गई फिर पुलिस वालों ने हमारे पर लाठी चला दी बस क्या था वहां पहले से ही व्यापारियों और पुलिस में बवाल चल रहा था एक व्यापारी मर चुका था पुलिस की गोली से इधर हमारे ऊपर लाठी चला दी गई अशोक त्रिपाठी जी कूद कर मैदान में आ गए बोले तुमने हमारे पत्रकार साथी को मारा उन दिनों केवल कुछ पत्रकार थे जिसमें प्रमुख सुरेश सिंह जी स्वतंत्र भारत ओसामा त ल हा और जगत बाजपाई दैनिक जागरण यही कुछ खास नाम थे यह सब हमारे ऊपर लाठी चलने पर बौखला गए और इन लोगों ने तत्कालीन एसपी एसएन सिंह को घेर लिया और बोला पत्रकारों पर लाठी चार्ज करते हो उस समय पुलिस गोली से गड़बड़ झाले का एक व्यापारी हरिश चंद मारा गया था सोहा बवाला तो यूं ही हो रहा था लिहाजा पत्रकारों से झगड़ा पुलिस को महंगा पड़ा लेकिन किसी तरीके से मामला शांत हुआ व्यापारी शांत हुए दूसरे दिन जब मैंने अखबार पढ़ा तो उसमें था पुलिस ने पत्रकार आरडी शुक्ला को लाठियों से मारा वह गंभीर घायल स्वतंत्र भारत पायनियर नवजीवन दैनिक जागरण सब में मेरा नाम छपा था और मैं पत्रकार बन गया मुझे खुद नहीं मालूम था कि यह हो क्या गया अचानक हरिश्चंद्र व्यापारी का मारा जाना मेरा अशोक त्रिपाठी जी के साथ वहां पहुंचना और फिर पुलिस का हमारे ऊपर लाठी चलाना अखबारों में मेरा नाम पत्रकारों के साथ छुपाना पहले देश की दिन किस घटना ने ने ही हमको पत्रकार बना दिया पुलिस की एक लाठी ने हमारा जीवन बदल कर रख दिया और यहीं से शुरू हो गया मेरा पत्रकारिता का जीवन आगे जारी


Popular posts
पत्रकारिता करने की खुली आजादी तो अब मिली है आरडी शुक्ला की कलम से
मोदी योगी ने शुरू किया ईमानदारी का नया युग
तमाम पुलिसवालों की हत्या करने वाले दुर्दांत खूंखार डाकू छविराम उर्फ़ नेताजी को कैसे लगाया पुलिस ने ठिकाने नहीं मानी सरकार की यह बात कि उसको जिंदा आत्मसमर्पण करवा दो पूर्व डीजीपी करमवीर सिंह ने कहां हम इसको माला पहनकर आत्मसमर्पण नहीं करने देंगे और सरकार को झुका दिया कहानी सुनिए आरडी शुक्ला की कलम से विकास उसके सामने कुछ नहीं था
कुदरत से टकराने का दंड भोग रहे हैं दुनिया के इंसान आरडी शुक्ला की कलम से
श्री राम का मंदिर निर्माण शुरू करने के बाद अयोध्या में दीपोत्सव 2020 के यादगार दिवस है