राजनीति में कैसे करते हैं किसी तेज युवक का उपयोग शोषण उसकी एक ज्वलंत कहानी हूं मैं सुनिए मेरे मुंह से

दोस्तों मैं आरडी शुक्ला सन 1977 में बहुत छोटी उम्र का था लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डीपी बोरा जी मेरे घर में रहते थे और मेरे गुरु थे मैं उनको बहुत मानता था वह 1969 में भारतीय क्रांति दल से विधायक भी हो चुके थे मेरे घर से महानगर मैं मेरे साथ रहते थे अचानक जयप्रकाश नारायण जी की संपूर्ण क्रांति का आंदोलन शुरू हुआ आंदोलन इंदिरा गांधी जी के खिलाफ था और इतना जबरदस्त था कि उसमें हम लोग तन मन धन से लग गए आखिर में इंदिरा गांधी जी को हम लोगों ने परास्त करके सड़क पर ला दिया यह सब काम लखनऊ विश्वविद्यालय से ही हुआ एक छात्र नेता हुआ करते थे सीबी सिंह मैं उनका बहुत करीबी था यह लोग सभी लोग निशा डी आई आर में बंद हुए कांग्रेस शासन में उनको जेल हुई हमको बाहर की जिम्मेदारी दी गई थी कि नारायण दास जी मुख्यमंत्री हो गए हैं वह मेरे घर के पड़ोस में महानगर में रहते थे उनके मार्फत जेल में बंद लोगों को छुड़ाने का काम करो वैसे मेरे घर में लगातार इतनी रे डे हुई पुलिस की कि मैं परेशान हो चुका था जेल में बंद लोगों ने मुझसे कहा कि तुम बाहर से सब को जेल से बाहर निकालने का काम करो नरेंद्र जी सुखी हमारे घर के बगल में रहते थे वह मुख्यमंत्री बन गए मुझको उनके साथ लगा दिया गया मैं आपातकाल में निशा और डी आई आर में बंद लोगों को नारायण देव जी से जिद्द कर करके छुड़ाने लगा इसी बीच चुनाव की घोषणा हो गई चुनावी जंग में जितने भी लोग जेल से बाहर आए यहां तक कि तमाम लोगों को जेल से बाहर करवाने का काम मैंने किया यही नहीं हमारे क्रांतिकारी कहे जाने वाले नेता सीबी सिंह जेल से रिहा नहीं किए जा रहे थे मैंने नारायण दास जी से होली के दिन जबरन उनको छुड़वाया बाहर आने के बाद चुनाव की घोषणा हो गई इंदिरा गांधी जी को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा था उसी समय जनता पार्टी बन गई और जनता पार्टी से सभी घटक दलों को टिकट दिया जाने लगा लखनऊ के लाजपत राय भवन से टिकट के संबंध में कार्रवाई शुरू हुई और टिकट बट ने लगे सन 1977 था कांग्रेस के अलावा अन्य सभी दल एक हो चुके थे टिकट की मारामारी चल रही थी अचानक एक दिन लाजपत राय भवन के बगल में बलरामपुर छात्रावास था वहां रहते थे सीबी सिंह उनको मैं ही जेल से छुड़ा के लाया था उनका विधायक का टिकट लखनऊ पश्चिम या बलिया से पक्का हो चुका था उन्होंने मुझसे कहा कि जाओ आरडी मेरे नामांकन का कार्य शुरू करो मैं चुनाव कार्यालय गया और वहां मैंने सीबी सिंह जी के नाम की पत्रावली निकलवाई क्योंकि उनको नामांकन भरना था उनका टिकट कोई नहीं काट सकता था वहां जब मैंने उनका नाम लिया तो वहां के अधिकारी ने मुझे एक लिफाफा थमाया और कहां सीबी सिंह का चुनाव लड़ना असंभव हमने पूछा क्यों उस अधिकारी ने बताया कि उन्होंने जेल से अपना नामांकन किया था और चुनाव लड़े थे लेकिन उन्होंने आय-व्यय का ब्यौरा नहीं दिया इसलिए उनको 3 साल के लिए चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने से अयोग्य करार कर दिया है मेरा माथा ठनक गया मैं परेशान हाल लिफाफा लेकर बलरामपुर हॉस्टल आया वहां मैंने सीबी सिंह को वह लिफाफा चुनाव आयोग का थमाया उन्होंने उसे पढ़ा और व्याकुल हो गए क्योंकि उनका टिकट पक्का था लेकिन यह चुनाव आयोग का आदेश उनके लिए काल बन गया लाजपत राय भवन जनता पार्टी के कार्यालय के ठीक बगल में बलरामपुर छात्रावास में रहते थे उन्होंने अचानक राजनीतिक फैसला बदला उन्होंने जनता पार्टी नेताओं से 300 सीटें देने का फरमान जारी कर दिया जो असंभव था लेकिन उन्होंने अपनी जीत पक्की रखी क्योंकि वह जानते थे कि वह चुनाव नहीं लड़ सकते क्योंकि चुनाव आयोग ने उनको अयोग्य घोषित कर रखा था इसकी जानकारी उनको और सिर्फ हमको थी उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया 300 सीटों का जनता पार्टी किसी कीमत पर उनको 300 सीटें नहीं दे सकती थी यही नहीं 30 सीटें भी नहीं दे सकती थी लिहाजा उन्होंने एक नया मोर्चा छात्र युवा संघर्ष समिति बना दी और घोषणा कर दी कि प्रदेश में इस मोर्चे के मार्फत से सभी सीटों पर विधायक के चुनाव लड़ेंगे मैं कुछ जानता भी नहीं था मेरी उम्र थी 24 वर्ष अचानक चुनाव शुरू हो गया सीबी सिंह जी को मालूम था वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे दूसरी ओर हमारे घर में रहने वाले डीपी बोरा जी को हेमवती नंदन बहुगुणा जी ने अपने कोटे से लखनऊ पश्चिम से टिकट दिलवा दिया इसी क्षेत्र से लालजी टंडन जनसंघ कोटे से पीडी कपूर शिव सिंह इत्यादि सभी यहां से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन डीपी बोरा का पलड़ा भारी था और उनको टिकट मिल गया इस बीच यह जितने डीपी बोरा के विरोधी थे और जनता दल के समर्थक थे परेशान हो गए फिर क्या था सबने सीबी सिंह से मिलकर गुप्त योजना बनाकर मुझे चुनाव लड़ाने के लिए तैयार करवाने के लिए सीबी सिंह पर दबाव डाल दिया मैं उनका शिष्य था अनजान था राजनीति नहीं जानता था कुछ समझ भी नहीं पाया अपने घर में रहने वाले प्रिय डीपी बोरा जी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गया सीबी सिंह चुनाव लड़ नहीं सकते थे लालजी टंडन का टिकट कट गया था पीडी कपूर को बहुगुणा जी ने टिकट नहीं दिया था वह नाराज थे मैंने सोचा चलो मजा लिया जा चुनाव लड़ लिया जाए 24 साल की उम्र में लखनऊ पश्चिम से 1977 में अपने प्रिय नेता डीपी बोरा के खिलाफ मेरा पर्चा दाखिल हो गया और बात यहीं तक नहीं रुकी उक्त विरोधी चाहे लालजी टंडन हो चाय पी ली कपूर हो सीबी सिंह हो सब ने मेरे ऊपर पैसा लगाना शुरू किया थोड़ा मोड़ा नहीं लाखों रुपए हम को दिए जाने लगे कुछ समझ भी नहीं पा रहा था कि आखिर जब संघर्ष समिति की ओर से प्रदेशभर में चुनाव लड़ाई जाने हैं 425 सीटों पर चुनाव लड़ा जाना तो आखिर सिर्फ हमको क्यों लड़ाए जा रहा है यह मैं नहीं समझ पाया ना मेरे इतनी बुद्धि थी मैं बेवकूफ था सोल चुनाव लड़ता चला गया और यह तिकड़म बाज राजनीतिक बीपी बोला की खिलाफत मुझसे करवाते रहे जगह-जगह लड़ाई करवाते रहे झगड़ा करवाते रहे आप सोचे कि मैं समझ नहीं पा रहा था जितने भी  डीपी बोरा जी के खिलाफ लोक थे वह मुझे पैसे से या किसी न किसी तरह से सपोर्ट करने लगे डीपी बोरा जी मेरे घर में ही रहते थे रात को मिलने पर वह मुझसे कहते थे कि तुम को वोट नहीं मिलेगा तुमको यह लोग बेवकूफ बना रहे हैं लेकिन मेरी समझ में नहीं आता था मैं एकदम भावनाओं में बह गया था इन लोगों के जाल में फस गया था कभी टंडन जी पैसा दे रहे थे कभी पीढ़ी कपूर पैसा दे रहे थे कभी सीबी सिंह चंदा करवा कर पैसा देते थे अबाया चुनाव का आखिरी दौर मेरे साथ दबंग किस्म के लोग लगा दिए गए थे जो हर जगह बवाल करते थे उसमें से रंजीत श्रीवास्तव महेंद्र प्रताप सिंह जिनका पूरा इतिहास ही अपराध से भरा हुआ था उसी में से ओमप्रकाश बबलू यह सब हमको चुनाव लड़ा रहे थे मेडिकल कॉलेज में मेरा स्टूडेंट वार्ड में कार्यालय खोला गया था मेरी हवा पानी बहुत अच्छी बन गई थी क्योंकि बोरा के खिलाफ मेरा चुनाव प्रचार इसलिए जोर पकड़ लिया क्योंकि मैं बोरा जी का ही आदमी का हमारे साथ सारे बोरा जी के लोग टूट के हमारे समर्थन में लग गए लालजी टंडन सीबी सिंह पीडी कपूर सब को यह लग रहा था पीआरडी शुक्ला को चुनाव लड़ाने से डीपी बोरा को जबरदस्त नुकसान होगा और वह चुनाव हार जाएंगे धीरे धीरे चुनाव के दिन से 1 दिन पूर्व हमारा आरडी शुक्ला जी का जुलूस और डीपी बोरा जी का जुलूस डालीगंज में टकरा गया यह भी एक बहुत बड़ी साजिश थी जिसको मैं कतई नहीं जानता था आपस में टकराव इतना तेज था कि दोनों तरफ से गोलियां चली पत्थर चले आगजनी हुई लगभग दो ढाई सौ लोग घायल हुए सैकड़ों गाड़ियां टूटी हसनगंज थाने लखनऊ में रिपोर्ट हुई लेकिन पूरी घटना के विषय कम से कम 100 लोग घायल हुए उस वर्ष 1977 के चुनाव में सबसे बड़ी हिंसा लखनऊ पश्चिम क्षेत्र में ही हुई थी हिंसा के बाद सीबी सिंह पीडी कपूर लालजी टंडन तो डीपी बोरा के साथ हो गए पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हमारे साथ जो दबंग बदमाश के साथी रंजीत श्रीवास्तव महेंद्र प्रताप सहित तमाम लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन डीपी बोरा जी ने मेरा नाम कहीं नहीं दिया वह बहुत ही चतुर राजनीतिज्ञ थे वे जानते थे कि मेरा इस प्रकरण में कोई दोष नहीं है चुनाव के दिन हमारे सभी लोग जेल के भीतर थे सिर्फ मैं अकेला बाहर था और फिर चुनाव का जो परिणाम हुआ वह बोरा जी के बताएं के अनुसार ही हुआ उन्होंने कहा था तुम चुनाव नहीं जीतोगे चुनाव में ही जीतूंगा और वही हुआ यहां तक कि उन्होंने मेरा नाम तक f.i.r. में नहीं दिया था उनका कहना था यह बच्चा इसकी कोई गलती नहीं है इस को मोहरा बनाया गया आज मैं सोचता हूं किस तरह यह नेता तेजतर्रार नवयुग कोका शोषण करते हैं अपने हित में उसका एक साक्षात उदाहरण में बना मेरे भाई मेरे घरवाले सभी डीपी बोरा जी को वोट दे रहे थे और सपोर्ट कर रहे थे अब आप सोचें सीबी सिंह का मामला चुनाव आयोग ने गड़बड़ कर दिया था लालजी टंडन को टिकट नहीं मिला था पीडी कपूर को भी टिकट नहीं मिला था यह सब मिलकर मेरा उपयोग करके चुकी जानते थे कि मैं बोरा जी का नुकसान कर सकता हूं चुनाव में वह मेरे को सीधा उनसे लड़ा दिया इस तरह की राजनीत को बचपन से देखता चला रहा हूं मैं अब मैं एक ही की पोल खोलने के मूड में हूं आरडी शुक्ला आपका अपना जारी रहेगा हमारा यह अभियान


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