रूद्र के के रौद्र रूप से महानगर में प्रकट हो गए नीलकंठेश्वर महादेव

दोस्तों आज मैं वह कहानी सुना रहा हूं जिसको सुनकर आपको बहुत आश्चर्य होगा कि भगवान इंसान से क्या-क्या करवा लेता है मेरा नाम रूद्र दत्त शुक्ला है मैं स्वर्गीय आचार्य शिवदत्त शुक्ल जी का का पुत्र हूं मैं 1984 में स्वतंत्र भारत अखबार में अपराध संवाददाता था बहुत नाम था लखनऊ में और ज्यादा उससे कोई प्रचलित अखबार भी नहीं था यह मान लीजिए कि उत्तर प्रदेश में नहीं था अपराध से संबंधित बड़ी छोटी सभी खबरों को मैं ही देखता था यही नहीं मैं प्रातः अपनी पहली चाय भी पोस्टमार्टम हाउस के सामने पीता था महानगर में मेरे घर के पास एक संत मार्केट हुआ करती थी वहां पर उसके बनने के बाद से हम लोग एक मेवालाल के चाय की होटल में बैठक किया करते थे उन दिनों महानगर जंगल हुआ करता था उसमें पांच दुकानें बनी थी एक मेवालाल की चाय की दुकान दूसरी सेठ जी की परचून की दुकान तीसरी फूलचंद की धोबी की दुकान चौथी टेलर मास्टर की पांचवी में मुन्ना का होटल था मिठाई की दुकान थी यह सब दुकानें पुरानी सन 55 और 60 के बीच बनी थी इनका किराया भी उस समय 50 ₹60 था सरोज जंगल था अमरूद आम के बाग थे तो दुकान है भी सीमा में ही चला करती थी ज्यादा भीड़ नहीं थी महानगर में हम लोग भी स्कूल कट करके इधर उधर से आकर के मेवा लाल के होटल में बैठ जाते थे वहीं से खुराफात करते थे एक अच्छा खासा हम लोगों का स्टैंड बन गया था कि जहां भी जाते आते थे वहां संत मार्केट में जरूर रुकते थे जब मैं स्वतंत्र भारत अखबार में कार्य करने लगा उसी बीच सन 1984 में अचानक एक दिन मैं जब अखबार की ड्यूटी करके वापस संत मार्केट अपने घर आ रहा था हमने देखा कि मेवालाल फूलचंद की दुकान और फूलचंद तो मर चुका था लेकिन उसकी पत्नी अपने दुकान के बाहर बैठी बिलक बिलक के रो रही थी अभी वहां मैं पहुंचा हमने पूछा क्या हो गया बोले हम मकान मालिक आए थे और वह हम लोगों की दुकान की छत तोड़ गए हैं और कह गए हैं कि 24 घंटे में दुकान खाली करके भाग जाओ अब हम लोगों का विश्व 25 साल का संबंध था वहां से एकदम मैं सन्न रह गया गुस्सा लगा कि आखिर मकान मालिक जब जानते थे तो पहले इन गरीबों को चेतावनी दे देते इस तरह से इन की दुकानों की तोड़ा खड़ी करके सामान नष्ट करने की क्या जरूरत थी हम लोगों को बता देते हम लोग इनसे दुकान खाली करवा देते सो मेरा क्रोध बढ़ता चला गया बगल में सेठ जी की परचून की दुकान भी थी उस पर हाथ भी नहीं लगाया गया मैं क्रोध में उनसे पूछने चला गया कि आखिर इन गरीबों की दुकान क्यों तोड़ी गई क्या मामला है उस पर उनका लड़का बड़ी तेज हंसने लगा मेरा रौद्र रूप तब तक चरम पर पहुंच गया था मैंने उस लड़के को एक थप्पड़ जड़ दिया इत्तेफाक से मेरा हाथ थप्पड़ लगाते समय टॉफी के शीशे के जार से काफी तेज टकरा गया और मेरे हाथ से खून निकलने लगा बस क्या था मेरा रौद्र रूप सातवें आसमान पर पहुंच गया और मैं मार्केट के बाहर निकला मैंने उस खून का टीका माथे पर लगाते हुए कसम खाई कि अभी हम मार्केट नहीं यहां मंदिर बनेगा न जाने क्या हुआ मेरे मन में क्या आया भगवान की इच्छा मैंने तुरंत सारे मोहल्ले के लड़कों को इकट्ठा किया चारों तरफ खबर भेजी सारे लड़कों को बुला लिया उसमें से एक लड़का था मिट्ठू जो पास में वायरलेस स्टेशन चौराहे पर मंदिर बनवा रहा था उसको बुला कर मैंने पूछा कि तुम शिवलिंग कहां से लाए हो उसने कहा मैं डालीगंज से ₹151 में लाया था हमने तुरंत चंदा किया और उसको पैसा देकर तुरंत देख शिवलिंग लाने के लिए बोल दिया तेज लड़का था फुर्तीला था  वह तत्काल डालीगंज जाकर एक शिवलिंग खरीद लाया इधर मैंने पूरा 100 लड़कों का जीरो इकट्ठा करके ठीक मार्केट के सामने एक चौकोर चौधरी के बराबर खुदाई शुरू करवा दी सारे लड़के जुट गए हम को बहुत मानते थे खुदा ही शुरू हो गई जब बहुत बड़ा गड्ढा हो गया तो उसके अंदर जितना मलवा वह लोग दुकानों का तोड़ गए थे वह सारा भरा दिया गया और उसके ऊपर चौतरा बनाना शुरू कर दिया गया सामने जल निगम का गोदाम था तो सामान से किसी चीज की कमी नहीं थी सुबह 4:00 बजे तक चौतरा बन गया प्लास्टर हो गया उस पर शिवलिंग रख दिया हमारे शिष्य थे ओम प्रकाश मिश्रा जी उन्होंने कोई शिवजी का मंत्र जाप किया और शिवलिंग की स्थापना कर दी गई फिर मुझको ध्यान आया कुछ समय पहले एक बाबा जी वहां आए थे संत मार्केट में वे बीमार थे उनकी हम लोगों ने देखभाल की थी उनकी मौत हो गई थी और वह त्रिशूल हमको दे गए थे कि बेटा इसको रख लो कभी काम आएगा अचानक मुझे ध्यान आया कि मेवालाल की दुकान के पीछे वह त्रिशूल पड़ा हुआ है उसको खोज वाकर हम लोगों ने शिवलिंग के बगल में गाड़ दिया सुबह जब लोग टहलने निकले तो वहां पर एक चौधरी पर शिवलिंग और त्रिशूल लगा हुआ मंदिर सबको दिखाई दिया मोहल्ला और क्षेत्र के लोग आश्चर्य में थे अब इसके आगे तो हम लोगों का कोई ज्यादा बस नहीं था उतना काम हम लोगों ने करके छोड़ दिया और घर चले गए दूसरे दिन जब मकान मालिक के लोग वहां आए तो उन्होंने हंसते हुए कहां क्या यह  बड़ा मंदिर तो है नहीं इसको हम किनारे डाल देंगे काफी दिनों कक और शिवलिंग और त्रिशूल खुले में लगा रहा कुत्ते आते जानवर आते बहुत खराब लगता था मन में मेरे गिलानी होने लगी यह क्या हो गया यह तो बदनामी वाली बात है ठीक इसी बीच हम लोग जिसमें केवल आनंद उपाध्याय जोकि सप्लाई ऑफिस में काम करते थे नरेश चंद श्रीवास्तव जय स्कूटर इंडिया में काम करते थे हम लोग किसी कार्यक्रम में संत मार्केट के ठीक पीछे रहने वाले वकील आरएन गुप्ता जी के साथ एक कार्यक्रम में जा रहे थे अचानक इस मंदिर की बात शुरू हुई हम उनका कैसे इसको और ऊपर बनाया जाए केवल आनंद जी ने कहां सीमेंट का इंतजाम वो कर देंगे सप्लाई ऑफिस में है वकील आरएन गुप्ता जी ने कहा मजदूर मिस्त्री का पैसा वह हाईकोर्ट से चंदा मांग कर ला कर इकट्ठा कर देंगे अब इतना हौसला मिलने के बाद मेरी ताकत बढ़ गई और फिर शुरू हो गया मंदिर का निर्माण हां एक बात जरूर थी मकान मालिक हम लोगों के पीछे पड़ गया और उसने पुलिस केस कर दीया आरएन गुप्ता और मेरे नाम मुकदमा कायम हुआ थाने में हम लोगों की गिरफ्तारी के आदेश हुए इस बीच मंदिर बनता जा रहा था हाई कोर्ट से मजदूर मिस्त्री के लिए पैसा आ रहा था केवल आनंद जी अन्य सामान इकट्ठा कर रहे थे मकान मालिक इस काम को रुकवाने के लिए हाथ धोकर पीछे पड़ा था इसी बीच एक अजयवीर त्यागी दरोगा जोनर महानगर थाने में नए-नए तैनात हुए थे हम लोग का वारंट लेकर घूमने लगे इसी बीच वकील आर्यन गुप्ता जी ने हाई कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगवा ली गुप्ता जी आज भी हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं उन सब सर्वमान्य और बहुत ही पूज्य व्यक्ति थे वे जी जान से लग गए मैं अपराध संवाददाता था उस समय शहर कप्तान थे बृजलाल वह भी बहुत ही हम लोगों को मानते थे अदालत से वकील पैसा चंदा करके भेज रहे थे  पुलिस मेरी वजह से सहयोग कर रही थी और कभी कभी आकर के कुछ पैसा भी मंदिर पर चढ़ाई जाती थी स्वतंत्र भारत अखबार खुलेआम इस मंदिर को बनवाने में लगा हुआ था रोज खबर निकल रही थी गरीबों को कैसे उजाला गया मकान मालिक के यानी संत बक्स सिंह के लोग राइफल बंदूक लेकर टहलने लगे लेकिन उनकी एक न चली मंदिर बनता चला गया अदालत तो पुलिस मीडिया एक साथ सहयोग कर दिया मुझे आश्चर्य है इतना बड़ा मंदिर बन के तैयार हो गया जिसकी स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी आज वह मंदिर इतना विशाल रूप ले चुका है देखने लायक है लखनऊ का सबसे बड़ा शिवलिंग उसमें रखा है नीलकंठेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है हां उस मंदिर को बनवाने में जिन का योगदान था उसे से नरेश श्रीवास्तव जी की मौत हो चुकी है बाकी सभी लोग जिंदा है मैं भी हमारे रौद्र रूप ने उस मार्केट में हमारे द्वारा खाई गई कसम को पूरा कर दिया मैंने कहा था यहां मंदिर बनेगा आज कोई भी शख्स वहां जाकर देख सकता है कि वहां मंदिर है मंदिर बनने के बाद सामने पार्क में एक पुलिस के डीआईजी सीके मलिक जो पू पूर्ण रूप से कांग्रेसी थे पार्क में प्लॉट कटवा कर जबरन मकान बनवा लिया उन्होंने उस मंदिर पर अपना कब्जा कर लिया जिस बाबा को हम लोगों ने रखा उसको अपनों ने अपना रॉक टॉप में ले लिया अजयवीर त्यागी उनकी चमचागिरी करने लगे एक अपराधी को उन्होंने मंदिर के आधे हिस्से में बैठा दिया हम लोगों को वहां से हटना पड़ा वरना जान से हाथ धो देते हमारे ऊपर गोलियां भी चलाई गई एक हत्या भी हुई कुल मिलाकर मंदिर चारों ओर से बंद करके घेर लिया गया आजो मंदिर चौतरफा गिरा हुआ है हम लोगों ने मेहनत की मंदिर बनवाया वहां पर पता नहीं क्या होने लगा यह जांच का विषय है लेकिन यह सच है मुकदमा हम लोगों ने झेला दुश्मनी हम लोगों ने सही और मजा कांग्रेस समर्थित पुलिस अधिकारी ले रहे हैं सुना है उस पूरे मामले की जांच चल रही है एलडीए में वह जगह मार्केट की है और उसकी पूरी जांच करवाई जारी है जिन बच्चों ने मोहल्ले के उस मंदिर को बनवाने में सहयोग किया उन सभी को पुलिस से डलवा कर अजयवीर त्यागी सहित तमाम लोगों ने उनको किनारे हट जाने के लिए कहा अब मंदिर से संबंधित योगी महाराज जी आए हैं हम लोग चाहते हैं सुभाष पार्क के अंदर इन पुलिस अधिकारियों द्वारा एलडीए से फर्जी ढंग से पार में प्लॉट कटवा कर मकान बनाने की जांच की जाए और जनता के इस मंदिर को कैसे अपराधियों ने हथियार है उसकी एक पूरी जांच करवा ली जाए उसका प्रार्थना पत्र भी भेजा जा रहा है वास्तव में उस स्थान का उपयोग मंदिर के रूप में नहीं होने दिया जा रहा है बल्कि वहां से अपराधियों और पुलिस की मिलीभगत की कहानी चल रही है वहीं से मलिक साहब का दलाली का काम होता है उस मंदिर और उसकी जमीन को मलिक साहब ने अपने कब्जे में ले लिया इस पूरे मामले की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ जी को प्रार्थना पत्र प्रेषित किया गया है की जनता के लिए इस मंदिर को खोला जाए इस पर अवैध रूप से ताला लगा रहता है कब्जा है और वहां पर होने वाली गतिविधियों की विस्तृत जांच हो जाए अभी इस मंदिर प्रकरण के कुछ गंभीर अंस आगे मैं आपको बताता रहूंगा आरडी शुक्ला द्वारा जारी