देवली नरसंहार जिसमें 1 माह के बच्चे महिलाओं और बुजुर्गों सहित 25 लोगों को पूरी रात गोलियों से भूना गया

दोस्तों यह बात 1982 और 83 में उस समय की है जब प्रदेश में सामूहिक हत्याओं का एक दौर चल रहा था इस दौर को अंजाम दे रहे बीहड़ों के डाकू कुछ दिन पहले ही फूलन देवी ने नरसंहार किया 21 लोगों का ददुआ ने नरसंहार किया है 11 लोगों का रामपुर वा मैं उसी समय अचानक एक दिन रात को जब मैं ड्यूटी पर था मेरे संपादक मुझे बुलाकर बताया कि एजेंसी से खबर आई है आरडी शुक्ला जी 25 लोगों का मैनपुरी के देवली गांव में हत्या कर दी गई है आप तुरंत गाड़ी लेकर वहां चले जाएं और खबर लाए मैंने अपने फोटोग्राफर को बुलाया और हमारे साथ एक वरिष्ठ संपादक नंद किशोर श्रीवास्तव जी केवल सहयोग के लिए एक मेटाडोर खुली लेकर लखनऊ से चल दिए रात 2:00 बजे के बाद हम लोग यहां से रवाना हो गए मैनपुरी के लिए वहां पहुंचते पहुंचते सवेरा हो गया था मैनपुरी उस समय बीहड़ का हेड क्वार्टर था जहां चौतरफा डकैतों का बोल वाला था एक तरफ यमुना के बीहड़ थे तो दूसरी तरफ चंबल घाटी बीच में मैनपुरी सुबह जब हम लोग मैनपुरी पहुंचे तो वहां से पता चला की देवली गांव काफी दूर है और बहुत बीहड़ में है आज तो नहीं मालूम वहां की क्या हाल है उस समय भीषण जंगल है वहां पर उसके बीच यह गांव है जहां जाटव बिरादरी के लोग रहते हैं हम लोग किस तरह कच्चे रास्ते से जिसके दोनों तरफ बबूल के जंगल थे अपनी मेटाडोर को जिसके पीछे के हिस्से में पाइप से त्रिपाल बांधने वाला स्टैंड लगा हुआ था उसको लेकर इन बबूल के जंगलों के बीच से निकलते गए जबकि अन्य अखबार वाले साइकिल और मोटरसाइकिल से रास्ता ढूंढते रहे हम लोगों की मेटाडोर चुकी पूरा पीछे का हिस्सा मोटी पाइप से लगा हुआ था इसलिए बबूल के कांटे हम लोगों पर असर नहीं कर रहे थे और हम लोग जल्दी से जल्दी देवली गांव पहुंच गए वहां पहुंचकर जो दृश्य हम लोगों ने देखा वह बहुत ही पीड़ादायक था दूध मोहे बच्चों से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों को जिस तरह पूरी रात घर से निकाल निकाल कर मारा गया था उनकी लाशें गांव भर में बिक्री हुई थी अजीब आश्चर्य था फिर आखिर इन लोगों से किसकी रंजिश थी बाद में पता चला कोई राधे संतोषा नामक दो बदमाशों ने पूरी रात देवली गांव में नरसंहार किया हर घर से एक न एक प्राणी को निकाला गया चाहे वह बच्चा हो चाहे वह महिला हो चाहे वह गुजर और उसको गोली मार दी गई हर घर के पास सामने कोई न कोई लाश पड़ी थी मुश्किल से 500 1000 घर वाला ही है गांव खून से लथपथ था हर दरवाजे पर गोली के निशान थे हम लोग इस पूरी घटना की रिपोर्टिंग कर रहे थे एक एक चीज को गहराई से छानबीन रहे थे समय से पहुंच गए थे इसलिए वहां का इस जिया जगन में हत्याकांड जैसे का तैसा था पढ़ा हुआ था वहां से न कोई लाश उठी थी और ना ही कोई पुलिस करतब कर पाई थी आप कल्पना नहीं करेंगे कि वहां देवली के खेत में हेलीपैड बनाया जाने लगा बताया या या नहीं लगा हम लोगों को क्या अभी यहां मुख्यमंत्री वीपी सिंह और केंद्र के गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह आने वाले हैं इसीलिए उनके लिए यह हेलीकॉप्टर के लैंडिंग की जगह बन रही है हम लोग भी जो कि पहले पहुंच गए थे इन सब चीजों का नजारा देख रहे थे हम लोगों को पता चल चुका था उस देवली गांव मैं जानबूझकर जाटव जो की हरिजन हुआ करते थे उनका जबरन बेवक्त लव नरसंहार करके सनसनी फैलाई गई थी मुझे याद है कि मैं लाशों के बीच में खड़ा सिगरेट पी रहा था और इस रोंगटे खड़े कर देने वाली दरिंदगी को देख कर चुपचाप पूरे घटनाक्रम का गंभीरता से अवलोकन कर रहा था अचानक आसमान पर एक हेलीकॉप्टर दिखाई दिया उसके लिए नीचे हेलीपैड बनाया जा चुका था पता चला प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीपी सिंह जी आए हैं बस कुछ ही देर बाद एक दूसरा हेलीकॉप्टर आया पता चला केंद्र के गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह भी आ गए हैं अब यह सब चीजें जो हम लोगों के सामने हो रही थी वह बहुत अजीब थी लाशें पड़ी हुई थी उनको उठाया नहीं जा रहा था बल्कि इन नेताओं के आने का इंतजार हो रहा था उनके हेलिकॉप्टर उतारने का बंदोबस्त हो रहा था तब तक हम लोग हर मृतक के घर पहुंच गए थे छोटा सा गांव था कच्चे मकान थे गरीब लोगों की झोपड़ी थी अल्लो का किसी से बैर भी नहीं था दोनों नेताओं के आते ही वहां पुलिस का जमावड़ा हो गया और वह मुख्यमंत्री बी पी सिंह जी को और गृहमंत्री ज्ञानी जैल सिंह तरह तरह से इस हत्याकांड के बारे में बताने लगे और दावा करने लगे कि 2 लोगों ने रात भर राइफल ओं से 315 बोर की गोलियों से सब की हत्या की है कारण कोई स्पष्ट नहीं था तभी अचानक मेरा ध्यान एक दरवाजे पर लगी 32 बोर की गोली की ओर जा चुका था तुरंत अपना मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री से कहा कि यह पुलिस वाले झूठ बोल रहे हैं क्योंकि यहां 315 बोर के अलावा रिवाल्वर से भी गोली चलाई गई है इस बात को पुख्ता करने के लिए मैंने दरवाजे में घुसी उस गोली को भी दिखाया उन लोगों ने माना कि खाली राइफल नहीं रिवाल्वर का भी प्रयोग हुआ है पुलिस की बोलती बंद हो गई दोनों नेता गम गिला करते हुए थोड़ी देर बाद अपने-अपने हेलीकॉप्टर में बैठकर एक दिल्ली और एक लखनऊ उड़ गया इत्तेफाक की बात यह थी कि जब हम पहुंचे थे वहां तब तक वहां कोई अखबार वाला या कोई भी लखनऊ वाला व्यक्ति नहीं पहुंच पाया था नेताओं के जाते ही मारे गए लोगों के शवों को पुलिस ने वोट करना शुरू किया और गाड़ी में लादकर ले जाने लगी तब तक सिर्फ इतना मालूम हुआ कोई राधे संतोषा दो डाकू थे जिन्होंने सरकार को धमकाने के लिए या कांड किया हम लोग वहां से पूरी खबर लेकर दोनों नेताओं से बातचीत करके पुलिस का बयान लेकर वापस लौटने लगे तब हम लोगों को रास्ते में लखनऊ के पत्रकार साइकिल से देवली गांव की ओर जाते हुए मिले वह गांव ऐसी जगह पर था जहां आसानी से पहुंच पाना बहुत मुश्किल था इसीलिए पूरी रात वहां गोली चलती रही और पुलिस को कोई भनक नहीं लगी इसके अलावा जब हम लोग वापस आ रहे थे तो पता चला कि रास्ते में दो जगह पर पुलिस और डाकू के बीच में गोली चल रही है जो वहां एक सामान्य बात थी वहां से हम लोग लखनऊ वापस आए पूरे 2 पेज की खबर बनी जेल सिंह वीपी सिंह सहित वहां की पूरी घटना की 50 फोटो हमारे अखबार में थी उस समय तक प्रदेश सरकार या पुलिस यह नाम बता सकी थी यह कांड 2 लोगों ने किया क्यों सिर्फ दहशत पैदा करने के लिए कमजोर हरिजनों को भून डाला गया काफी समय बाद बताया गया की देवली हत्याकांड को अंजाम देने वाले राधे संतोषा को कानपुर के एक पेट्रोल पंप से गिरफ्तार कर लिया गया और उसके बाद से आज तक यह नहीं मालूम कि आखिर उनका क्या हुआ और उन 25 मारे गए लोगों को न्याय मिला या नहीं मिला हमारा ख्याल और जानकारी में उन पकड़े गए दोनों का कुछ नहीं हुआ पता यह चला था इस कांड में राधे संतोषा को चुपचाप बुलाकर पुलिस ने हाजिर करवा लिया था और उसके बाद मामला खत्म कर दिया जबकि इस हत्याकांड से पहले फूलन देवी ने 21 लोगों को गोलियों से भूना था उसके बाद ददुआ ने मानिकपुर थाना क्षेत्र स्थित चित्रकूट जिले में राम पुरवा गांव बैंक 11 लोगों की हत्या की थी यह सब सिलसिला वार हो रहा था प्रदेश के बीहड़ में चाहे वह जमुना के बीहड़ों और चंबल के बीहड़ों डकैतों की गतिविधियां बहुत जोरों पर थी इस कांड के बाद पूरे प्रदेश में जो मुठभेड़ों का सिलसिला शुरू हुआ वह चार-पांच वर्षों तक इस तरह चला की धीरे धीरे एक भी डाकू बीहड़ों में जिंदा नहीं बचा अभी मुठभेड़ों की कहानी आरडी शुक्ला आपको सुनाते रहेंगे जारी


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