कैसे बदला लेती है पुलिस एक रिपोर्टर से उसकी कहानी सुनिए आरडी शुक्ला से

दोस्तों यह सच्ची कहानी में सुना रहा हूं सन 1989 में मुझको लोगों ने पानी पर चढ़ा कर महानगर क्षेत्र से सभासद का चुनाव लड़ने को बाध्य कर दिया मैं भी तैयार हो गया 18 साल बाद सभासद के चुनाव होने जा रहे थे कई बार तारीख आई आगे बढ़ी लेकिन मैं चुनाव की तैयारी जोर शोर से करने लगा सन 1980 से मैं लगातार क्राइम रिपोर्टिंग करते हुए जनता की सेवा कर रहा था जहां पर पुलिस का अत्याचार होता था मैं वहां जनता के साथ खड़ा हो जाता था इस हद तक हमारी पुलिस से जंग चल रही थी की जनता मेरे नाम मेरे काम से इतना खुश थी कि अगर उस समय सांसद का चुनाव होता तो भी मैं आराम से जीत लेता किसी गरीब के घर में चोरी होती पुलिस से जबरन में उसके बर्तन बरामद करवाता था किसी के घर में पुलिस का जोर जुल्म होता था मैं पुलिस के खिलाफ खुल के बगावत करता था खबर लिखता था इत्तेफाक की बात उस समय हमारे स्वतंत्र भारत अखबार के अलावा कोई दूसरा अखबार नहीं था हमारा स्वतंत्र भारत लखनऊ नहीं प्रदेश में नंबर वन पर बिकता था उसमें लिखी खबर सत्य मानी जाती थी और उस पर कार्रवाई भी तुरंत होती थी पता नहीं कितने पुलिस वालों को मैं निलंबित करवाता रहा उनकी करतूत लिखता और उन पर कार्रवाई करवाता लखनऊ ही नहीं पूरे प्रदेश की जनता हमारे ऊपर विश्वास करती थी जनता जानती थी आरडी शुक्ला उनका अपना रिपोर्टर है वह जनता के लिए जान दे रहा है और जनता के लिए लड़ रहा है पता नहीं कितने पुलिस वाले हमारी कलम के शिकार हो गए मुझे खुद नहीं मालूम कि मेरे दुश्मन कितने माफिया बदमाश और पुलिस वाले हो चुके हैं और उसी बीच में यह सभासद का चुनाव आ गया क्योंकि उस समय मैं खाली था और मुझे इन्हीं अपराधियों पुलिस वालों वालों ने कलम लेकर सड़क पर कर दिया था मेरे पास अपने बचाव का कोई रास्ता भी नहीं था बस जनता थी हमारे साथ और वही हमारी मदद कर रही थी उसने जब कहा आप यह चुनाव लड़ जाओ वरना आपकी जान चली जाएगी मैंने जनता की बात को मान लिया और छोटा ही चुनाव था सभासद का लेकिन 18 साल बाद आया था मैंने लड़ने की ठान ली और मेरे पास कोई चारा भी नहीं था यह माफिया अपराधी पुलिस वाले हमारे इतने खिलाफ हो गए थे क्यों हमारे प्रेस के भीतर तक घुस गए थे और हमारे पीछे पड़ गए थे किसी भी हालत में वह मुझको समाप्त करना चाहते थे काफी कुछ खत्म भी कर दिया था मैंने इस सभासद के चुनाव को महत्वपूर्ण समझते हुए अपनी जान माल के लिए लड़ने का निर्णय कर लिया खूब जनता मेरे साथ खड़ी थी मेरे जुलूस ओं में मेरे साथ हजारों हजार लोग साथ चलते थे जब आया चुनाव का समय और मुझको नामांकन करना था तब मैं और सब मामलों में तो सबसे आगे था हमारे क्षेत्र भी बहुत बड़ा था आज वहां जितने क्षेत्र में मैं चुनाव लड़ा आज वहां पांच सभासद है जिस दिन मुझको चुनाव का नामांकन करना था उस से एक रात पहले मैं अपने एक मित्र दरोगा के साथ गाड़ियों का इंतजाम करने शहर में दौड़ रहा था और ज्यादा से ज्यादा भीड़ भी एकत्र करनी थी मैं उस रात 2:00 बजे करीब अपने मित्र स्वर्गीय पप्पू अरोड़ा के पास स्कूटर से मोती नगर गया था मुझे ठीक से याद है कि जब मैं उनसे गाड़ी का इंतजाम करवा कर वापस हीवेट रोड होते हुए अमीनाबाद चौराहे पर स्कूटर से पहुंचा तो वहां अचानक दो सिपाहियों ने हम को रोक लिया उसमें से एक सिपाही जो जबरदस्त शराब पिए हुए था वह मुझको पहचान कर चीखने लगा बोले आरडी शुक्ला तुमने मुझको निलंबित करवाया था आज मैं तुमको जिंदा नहीं छोडूंगा और उसने राइफल मेरे ऊपर तान के अपने कब्जे में हमको ले लिया मैं क्या करता किसी तरह स्कूटर छोड़कर मैं अमीनाबाद थाने की ओर भागा कि किसी तरह अपनी जान बचाओ लेकिन वह मेरे पीछे से दौड़ाने लगा मैं काफी तेजी से भाग कर अमीनाबाद थाने के अंदर घुस गया सोचा शायद यहां मेरी जान बच जाएगी लेकिन वह सिपाही राइफल ताने हुए अमीनाबाद थाने के अंदर घुस गया और उसने पूरे थाने को राइफल तान कर अपने कब्जे में ले लिया हमारे साथ जो दरोगा जी थे सबसे पहले उसने उनको जबरन लॉकअप में राइफल के सहारे डालकर बंद कर दिया जब वहां बैठे दीवान वगैरा हम को बचाने लगे तो उसने उनको भी खूब मारा और जीडी कागज फाड़ डाली और उनको मारने लगा रात का करीब 3:00 बज रहा था पूरे  थाने को उसने अपने कब्जे में ले लिया मुझसे सिर्फ यह कह रहा था तेरा काम आज लगा दूंगा तू आज जिंदा नहीं जाएगा यहां से और उसने मुझको इतनी तेज राइफल मारी और एक दीवान को धक्का दिया कि मैं लड़खड़ा कर बाहर जहां एसएसआई लोग बैठते हैं उसकी टेबल के नीचे गिर गया बस यहीं पर मेरी जिंदगी बचने के लिए रास्ता पा गई वह दीवान और लॉकअप में बंद दरोगा के पीछे पड़ गया इस बीच मैं मेज के नीचे गिरा दिया गया इत्तेफाक की बात जहां में अपने जिंदगी का आखरी समय गिन रहा था वहां पर मुझे फोन का रिंगटोन सुनाई दिया जब उस सिपाही ने मुझको धक्का देकर मेज के नीचे गिराया था तो उस समय मेरे साथ मेज पर रखा फोन भी गिर गया था और मैं जहां नीचे गिरा था उस फोन का रिसीवर मेरे पास ही रिंगटोन दे रहा था मैंने तुरंत उस फोन का उपयोग किया नीचे पड़े पड़े पढ़ें मैंने स्वर्गीय डीपी बोरा जी को फोन मिलाया और उनसे बताया कि मेरी जान खतरे में है मैं अमीनाबाद थाने में हूं इसके बाद मैंने एक फोन अपने पायनियर प्रेस के नेता उमाशंकर मिश्र जी को मिला दिया मेरी जान खतरे में है बचाइए यह सब फोन वाला मामला वह शराब के नशे में सिपाही नहीं समझ पाया स्वर्गीय डीपी बोरा जी ने तुरंत फोन वरिष्ठ अधिकारियों को मिला दिया और इस बात की सूचना दे दी आरडी शुक्ला की जान खतरे में है अधिकारियों ने तुरंत इंस्पेक्टर अमीनाबाद को सूचित किया कि जल्दी घटनास्थल पर आप पहुंचे उस समय थानेदार अपने घर पर सो रहे थे इसी बीच उमाशंकर मिश्रा जी ने भी सक्रियता दिखाते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को कार्यवाही करवाई के लिए ललकारा जब तक को दरोगा जी की पिटाई करके दीवाने को भी वह लॉकअप में बंद करके मेरा काम लगाने आता तब तक इंस्पेक्टर अमीनाबाद अमीनाबाद थाने पहुंच गए उनको देखते ही सिपाही ने राइफल उनके ऊपर तान दी और बोला कि उन्होंने हम को निलंबित कराया था हम इनकी आज जान लेंगे इस बीच इंस्पेक्टर ने भी अपनी रिवाल्वर निकाल दी और सिपाही पर तानी और इंस्पेक्टर ने सिपाही को हाथ ऊपर करने के लिए कहा भाग्य बस इसी बीच स्वर्गीय डीपी बोरा जी और श्रमिक नेता उमा शंकर मिश्रा जी थाने के पास पहुंच गए सिपाही ने अपने को गिरता हुआ देखकर थाने की दीवाल से कूदकर भाग निकला इसके बाद वहां इंस्पेक्टर ने लॉकअप में बंद रात्रि के सिपाहियों और दीवान और दरोगा को ला कप से बाहर किया मुझको मैच के नीचे से निकाला इस समय करीब 4:05 बजे का टाइम हो गया था हम सभी लोग इंस्पेक्टर के कमरे में बैठे स्वर्गीय बोरा जी मिश्रा जी मैं और इंस्पेक्टर सब ने बातचीत की और यह तय हुआ की कार्यवाही सिपाही के खिलाफ तो होगी लेकिन समस्या यहां पर यह फस गई कि मुझको सुबह 7:00 बजे जुलूस निकालकर नामांकन करने जाना था मैंने गोल मार्केट में महानगर में सारी जनता को बुला रखा था वहां से कचहरी जाकर मुझे सभासद के पद का नामांकन करना था अब सबकी यह राय बनी कि अभी अगर 6:00 बज रहा है पुलिस की कार्रवाई शुरू करेंगे तो नामांकन के समय तक मैं जनता के बीच में नहीं पहुंच पाउंगा इस पर मैंने एक तहरीर लिखकर इंस्पेक्टर को दे दिया और जो कि मुझे नामांकन करना था इसलिए मैं वहां से सर जी वह राजीव मिश्रा जी के साथ महानगर पहुंच गया वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने और सभी ने मुझसे पहले चुपचाप अपना नामांकन करने के लिए कहा मैं जब गोल मार्केट पहुंचा तो वहां लगभग 1000 से ऊपर लोग पहुंच चुके थे सैकड़ों गाड़ियां मौजूद हो चुकी थी सबसे आगे मेरे लिए ट्रक की व्यवस्था की गई थी मैंने रात की घटना का जिक्र भी नहीं किया किसी से और सीधे ट्रक पर जाकर खड़ा हो गया मुझको फूल की मालाओं से लाद दिया गया तब तक 10 बज चुका था हमारा जुलूस धीरे-धीरे चलने लगा पूरा क्षेत्र अलीगंज और पूरा महानगर घूमता हुआ धीरे-धीरे कचहरी की ओर करीब 12:01 बजे पहुंचा मैं रात की बात सोच कर घबरा जा रहा था लेकिन दिल पक्का करके चुपचाप जनता का अभिवादन स्वीकार करते हुए करीब 3 4000 आदमियों के साथ कचहरी में जाकर नामांकन किया भाग्य देखिए मैं चुनाव भारी मतों से जीता बाद में उस सिपाही के विरुद्ध कार्यवाही हुई बाद में लीपापोती भी हुई फिर मैंने ही उस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया अब आप सोचें नामांकन से कुछ घंटे पहले मैं अपनी जान बचाने की लड़ाई लड़ा था  और अगर उस सिपाही की धक्का-मुक्की के बीच में मुझे फोन का सहारा ना मिला होता तो निश्चित तौर पर वह मुझको नामांकन नहीं करने देता और मुझे खत्म कर देता इसी को कहते हैं विधि का विधान हमारे साथ जो फोन भी गिर गया और मुझे फोन करने का मौका मिल गया बस इसीलिए कहा गया है जाको राखे साइयां मार सके ना कोई बाल न बांका कर सके चाहे जग बैरी हो जाए उसके बाद में नामी-गिरामी सभासद बन गया पूरी तरह सुरक्षित हो गया और आज आज उस रात की बात मैं आपको बताते हुए कांप रहा हूं सोचता हूं माला पहनने से 2 घंटे पहले मेरे साथ क्या हो रहा था जान बचाने के लाले लगे थे ठीक 2 घंटे बाद हजारों आदमियों के बीच माला पहन कर जिंदाबाद करवा रहा था यह सब भी जो दुश्मनी थी वह माधवपुर कांड की एक खबर मैंने लिखी थी जिसमें 3 लोगों को फांसी भी हो गई पुलिस वालों को यह सिपाही उन्हीं लोगों का करीबी था इसीलिए उसने मेरा काम लगाने की सोची थी लेकिन वह सफल नहीं हुआ यहां पर भी मेरा पुण्य काम आया इसीलिए भलाई करने से भगवान भी अपने भक्तों की पूरी रक्षा करता है तभी तो मेरे साथ वह फोन भी गिर गया था धन्यवाद दोस्तों मैं आपको सच्ची कहानियां सुनाता रहूंगा धन्यवाद इस खबर की आप हर तरह से पुष्टि कर सकते हैं सत्य कभी झूठ लाया नहीं जा सकता


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