नीरज सिंह का जादू लखनऊ की जनता के सर पर चढ़कर बोल रहा है

लखनऊ की जनता को नीरज सिंह जैसा युवा ऐसा उपहार में मिला है जिसको पूरा लखनऊ जानता है इसमें पिता के दिल्ली में गृह मंत्री के रूप में अति व्यस्त होने के बावजूद लखनऊ की जनता को दुखी नहीं होने दिया उनके कामों को इस तरह देखता रहा जैसे कि किसी को उप करने का मौका ना मिले वह दिन-रात लखनऊ की सेवा में लगा रहा इनके पिताजी मोदी जी के प्रथम कार्यकाल में इन्हीं के द्वारा बनाए गए घोषित किए गए और बाद में गृहमंत्री का सबसे कठिन कार्य संभालते रहे लखनऊ से सांसद चुने जाने के बाद राजनाथ सिंह जी दिल्ली में व्यस्त हो गए ऐसा नहीं मौका मिलते ही वह यहां आ जाते थे हर बड़े आयोजनों में वह लखनऊ में रहे लेकिन उसके बावजूद उनके पीछे अगर किसी ने उनके लिए मेहनत की वह थे नीरज सिंह जी लखनऊ में पड़े नीरज ने पिछले 5 साल इधर के 2 साल लखनऊ की एक एक गली एक एक व्यक्ति एक एक युवा एक-एक कार्यकर्ता को संभाला और उन्हीं की देन थी कि नामांकन के दिन हम लोगों को पूर्ण विश्वास हो गया था कि पूरा लखनऊ नीरज जी मैं नामांकन में इकट्ठा कर दिया है वहीं पर चुनाव भी लगभग तय हो गया था कितने से इस आ जाएगा यह तो नहीं मालूम था लेकिन नामांकन के जुलूस में यता करवा दिया था किसके पीछे नीरज सिंह जी की कितनी कड़ी मेहनत थी उस मोदी जी के कार्यकाल में रहना जी गृहमंत्री थे और गृहमंत्री प्रधानमंत्री के बाद सब कुछ देखता है उस कार्यकाल में मोदी जी अधिकांश समय विदेशों में व्यस्त रहते थे भारत को और वह भी गृह मंत्री के रूप में संभालना मामूली काम नहीं था वह राजनाथ सिंह जी करते थे राजनाथ सिंह जी की व्यस्तता को देखते हुए उनके पुत्र नीरज सिंह लखनऊ में पूरी तरह व्यस्त रहते थे कोई भी मामला हो किसी का हो वे उसको संभालते और उसको हल करते थे यहां तक कि पिछला कार्यकाल बीतने के बाद इस कार्यकाल तक वोटों की संख्या भी बढ़ी तो उसके पीछे नीरज सिंह की मेहनत थी पिता के व्यस्त रहने के बावजूद लखनऊ की एक एक गली कूचे मोहल्लो चाहे वह इटौंजा हो चाहे वह जरा रा गांव हो चाहे इंदिरानगर हो गोमतीनगर हो चाहे पुराना लखनऊ हो हुसैनगंज हो अमीनाबाद हो यूं कहिए कि पूरा लखनऊ संसदीय क्षेत्र नीरज सिंह जी को जानता है क्योंकि यह हर व्यक्ति हर गली हर कूचे में जाकर बैठे सभाएं की लोगों से मिले हम सभी लोग जानते थे किन के पिताजी व्यस्त हैं अति व्यस्त हैं उसकी जगह पर उनका पुत्र कार्य कर रहा है और वह भी इतनी ईमानदारी से कि लखनऊ में किसी तरह की कोई अशांति नहीं हो पाई किसी तरह का कोई गड़बड़ खेल नहीं हो पाया तो उसके पीछे थी नीरज जी की तगड़ी निगाह उन्होंने दिन दूनी रात चौगुनी मेहनत पिछले कार्य काल से ही शुरू कर दी थी और लखनऊ की जनता के हर दुख दर्द को मैं वह तो शरीक होते ही थे जब भी उनके पिताजी को समय मिलता वह भी आकर लोगों के घरों में जाकर सुख दुख में सम्मिलित होते थे कार्यक्रमों में सम्मिलित होते थे जबरदस्त व्यस्तता के बावजूद राजनाथ सिंह जी ने लखनऊ का कोई कार्यक्रम नहीं छोड़ा दूसरी तरफ जनता के दुख दर्द के लिए नीरज जी ने बीड़ा उठा रखा था और वह स्थानीय समस्याओं को स्थानीय स्तर पर निपटा थे और बड़ी समस्याओं को दिल्ली तक पहुंचा देते थे इस तरह उन्होंने ऐसा नेटवर्क बना रखा था कि लखनऊ का कोई आदमी परेशान ना होने पाए वह हुआ भी यही सत्य यही है कि लखनऊ में पड़े नीरज सिंह अभी मुश्किल से 35 36 साल के होंगे उन्होंने एक तरह से लखनऊ की पूरी नस पकड़ ली हम लोगों को सबको उन्होंने अपने मुंह में बसा लिया जैसे कि अटल जी ने किया था ठीक है लोग राजनाथ सिंह जी को जानते हैं उनकी एक अपनी अलग गरिमा है लेकिन उनके पुत्र में उनकी गरिमा को बहुत आगे बढ़ाया लखनऊ का विकास तो खुलेआम दिख रहा है लेकिन यहां कानून व्यवस्था को इतना सुंदर बनाए रखा गया कि किसी तरह का यहां कोई डर भय नहीं था उनके गृह मंत्री रहते आज भी उनके रक्षा मंत्री रहते हैं लखनऊ 80 निश्चिंत है जैसे कि अटलजी के समय में थे वाकई अटल जी के उत्तराधिकारी के रूप में जो हम लोगों को राजनाथ सिंह जी मिले हैं वह एक अजूबा ही है वरना कौन नेता इतना समय देता और अगर सांसद भी हो जाता दिल्ली कुछ नहीं हो सकता था लेकिन अगर देखा जाए इस सबके पीछे पर्दे के पीछे सबसे ज्यादा काम नीरज सिंह का था यह कोई तारीफ करने वाली बात नहीं है यह सत्यता है कि लखनऊ का हर नागरिक क्यों वोटर है या नहीं है वह नीरज सिंह से मिला है और उसके अगर कोई काम बताया है तो उसको उन्होंने उचित ढंग से निपटाया है ऐसी व्यवस्था इस पुत्र ने की कि आज अपना तो उच्च स्थान बनाया ही है लखनऊ और प्रदेश में साथ में पिता को पुनः अच्छे मतों से जीता कर देश का रक्षा मंत्री बनवाया है इसमें सबसे ज्यादा समय दिया नीरज जी ने युवाओं को और युवा ही चुनाव की जान हुआ करते हैं उन्होंने पूरे शहर के युवाओं को अपने साथ जोड़ लिया था वह युवक हो या युवतियां सभी उनके भक्त हो गए थे का सुंदर स्वभाव मधुर भाषा जो लखनऊ के नवाबों की याद दिलाती है कि लखनऊ की नजाकत और नफासत कैसी होनी चाहिए उसका जीता जागता उदाहरण है नीरज सिंह जी उन्होंने लखनऊ वासियों को जीत लिया अब लखनऊ वालों को उनको उपहार में कुछ न कुछ देना है पिता को तो दिल्ली भेज दिया कि वह देश देखें अब बेटा नीरज निश्चित तौर पर 1 दिन उच्च पद पर आसीन होकर प्रदेश और देश की सेवा करेगा वैसे भी उसने लखनऊ वालों का दिल तो जीत लिया लखनऊ वालों किस सर आंखों पर उसका जादू चढ़ा हुआ है उसने कभी अपने पिता की यहां कमा पाने की बात को अखर ने नहीं दिया उसने पूरी तरह कमान संभाल रखी थी और आज तक नीरज में लखनऊ की कमान को छोड़ा नहीं है भले पिताजी कितने व्यस्त हो उनको लखनऊ की एक एक चीज बताना उसका हल नीरज ही निकालते हैं यह सब बातें इसलिए कर रहा हूं कि अटल जी के बाद लखनऊ को एक साहसी गौरवशाली सांसद मिल गया अब लखनऊ के लोगों को अटल जी की कमी नहीं खलती वैसे भी राजनाथ सिंह जी ने ही भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहते मोदी जी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित कर दिया था उस समय कितना ही विरोध था लेकिन इस ठाकुर बंदे की वजह से आज मोदी जी और योगी जी का राज चल रहा है जो भी लोग भ्रष्टाचार बेईमानी अपराधिक चीजों से परेशान थे उनको राजनाथ सिंह के एक निर्णय में मुक्ति दिला दी ऐसा शासन लाकर हिंदुस्तान में खड़ा करवा दिया फिलहाल देश को अच्छी सरकार मिल गई है प्रदेश को अच्छी सरकार मिल गई है लखनऊ को रक्षा मंत्री मिल गया है और हम लोगों को नीरज बाबू मिल गए हैं लिहाजा लखनऊ का कल्याण चौतरफा हो रहा है बहुत कुछ हो रहा है बहुत अच्छा हो रहा है जनता नीरज सिंह जी को लगातार आशीर्वाद और बधाई दे रही है लेकिन वे अभी संकोची है ना युवा है लखनऊ का मतलब नहीं समझ रहे हैं यहां तो नवाबों ने राज किया अमा यार वाली दोस्ती लखनऊ के  हर व्यक्ति को अपना बना कर पाली यही खूबी होती है कच्चे राष्ट्रीय नेता के संस्कारित पुत्र की जिस ने बखूबी अपनी जिम्मेदारी कल भी निभाई और आज भी निभा रहा है लेकिन पर्दे के पीछे से उपमा शुक्ला द्वारा


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