पिछले 25 सालों में रेवड़ी की तरह बटे लाइसेंसी हथियारों ने पुलिस और जनता दोनों की जान खतरे में डाल दी


आर डी शुक्ला द्वारा


पिछले 25 वर्षों में आई सरकारों ने इस कदर हथियारों के लाइसेंस बांटे कि आज पुलिस से कई गुना ज्यादा हथियार जनता के पास मौजूद है हालत यह हो गई है जगह-जगह पुलिस पर गोलियां चल रही है इसका प्रमुख कारण ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से ₹60000 में रिवाल्वर का मिलना और लाख रुपए में पिस्टल का मिल जाना वह भी इस कदर कि हर आदमी आसानी से उसको खरीद ले 90 तक रिवाल्वर और पिस्टल सबकी पहुंच में नहीं था लाइसेंस बन भी जाए तो भी हथियार खरीदना बहुत मुश्किल काम था क्योंकि हिंदुस्तान में बनता नहीं था बाहर से ला नहीं सकते थे और जो देश के अंदर से उनकी सीमित मात्रा थी और वैसे भी योग हथियारों का शौक ज्यादा नहीं करते थे इधर विश्व 25 वर्षों से इस कदर हथियारों की होड़ लग गई और लाइसेंस रेवड़ी की तरह बांटे जाने लगे कि अब तो हद हो गई और दूसरा तीसरा आदमी डॉक्टर कोटे से वकील कोटे से व्यापारी कोटे से ठेकेदार कोटे से किसी ना किसी तरह नेताओं के जरिए लाइसेंस बनवा कर कानपुर और कोलकाता से हथियार खरीद ला रहा है अब उसका उपयोग सही जगह कहीं नहीं हुआ और ना कहीं होता दिखाई दे रहा है हर आदमी हथियार रखे हुए उसका दुरुपयोग ही हो रहा है यह तो मालूम ही नहीं होता कि कहीं पर आपराधिक कांड के समय किसी ने अपने हथियार से अपराधियों को सबक सिखाया हो और किसी की जान बचाई हो या बड़ा अपराध बचा लिया हो अब हो यह रहा है योग सिर्फ रंगबाजी के लिए भोकाल के लिए हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं या तो फिर घर पर लॉकर में चुपचाप रखा रहता है उसी का परिणाम अभी पिछले 24 घंटों के अंदर लखनऊ राजधानी के पॉश इलाके गोमती नगर में दो परिवारों को भुगतना पड़ा पहला कांड आईएएस उमेश सिंह के घर में हुआ जहां उनकी पत्नी सुशीला ने घर में रखी पिस्टल से स्वयं को गोली मार ली और दूसरी घटना


गोमती नगर विस्तार में हुई जहां अभिषेक जो ठेकेदारी करता था  पत्नी ने उसको शराब पीने के लिए मना किया जिस पर गुस्से में आकर उसने अपनी सांस चंदा के पेट में गोली मार दी और फिर से कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली यह दो मामले तो पिछले 24 घंटे के हैं सिर्फ उदाहरण इस तरह के मामले लगातार हो रहे हैं अभी लखनऊ मैं ही मड़ियाहूं थाने में एक अधिवक्ता ने लाइसेंसी हथियार से गोलियां चला दी अब इसके बाद तो अनगिनत उदाहरण आपको महीने और साल में मिल जाएंगे जहां लाइसेंसी बंदूक राइफल ओ और रिवाल्वर पिस्टल से आत्म हत्या और हत्या जैसे सैकड़ों कांड प्रदेश और देश में हो रहे हैं आप सोचें कि आज फिलहाल तो हाईकोर्ट ने लाइसेंस रोक रखे हैं लेकिन उसके बावजूद पिछली कुछ सरकारों ने इस कदर लाइसेंस बांटे हैं रेवड़ी की तरह यार दूसरा तीसरा आदमी हथियार लगाकर घूम रहा है बाकायदा लाइसेंस भी है लेकिन कभी भी या नहीं सुनाई पड़ा कि किसी ने किसी अपराधिक घटना के समय दिलेरी दिखाते हुए किसी की हत्या बचाई या किसी की लूट मचाई या किसी अपराधी को मार गिराया यह काम पुलिस ही करती है अब तो सिर्फ यह हथियार घरों में रखे जा रहे हैं और घरों में आजकल तनाओ इतना है रोज गुस्से में आकर इन हथियारों से आसानी से लोग आत्महत्या या हत्या कर देते हैं महिलाएं भी इसमें अब आगे बढ़ कर ऐसे कृत्य कर रही हैं जबकि हथियार का उपयोग अपनी सुरक्षा और आसपास के लोगों की सुरक्षा के लिए होता है दिनभर शहर में लोग हथियार लगाकर टहलते हैं सामने वारदात होती देखते रहते हैं और चुपचाप निकल जाते हैं वहां यह बोलते भी नहीं या फिर अपराधी या दबंग लोग अपने प्रतिद्वंदी को डराने धमकाने के लिए इन हथियारों का उपयोग कर रहे हैं लोग लाइसेंसी हथियारों के बल पर वसूली भी कर रहे हैं अब आप बताइए हालत यह हो गई है अदालत परेशान है पुलिस परेशान है कि हथियारों की बड़ी संख्या मैं आप बताओ को तो बड़ा ही दिया है बाहर भी अपराध बढ़ा दिए हैं अब बिना लाइसेंस वाले हथियारों के की जरूरत ही नहीं पड़ती लाइसेंसी हथियार इतने हो गए हैं उन्हीं से बड़ी आसानी से अपराधी अपना काम निपटा लेते हैं पुलिस की परेशानी यह हो गई है कि वह कहां तक इन हथियारों का हिसाब रखें मौके पर मौके जब पुलिस से भिड़ंत होती है तो आजकल भीड़ पुलिस पर भी इन हथियारों से गोली चला रही है हालत यहां तक हो रही है कि अगर आज देखा जाए उत्तर प्रदेश के हर जिले हर मोहल्ले में पुलिस से कहीं ज्यादा हथियार लाइसेंसी मिलेंगे और वह कभी भी पुलिस पर हमला आराम से कर सकते हैं घरों में यह हथियार आत्महत्या बढ़ा रहे हैं जरा सा गुस्सा आया दिमाग में गर्मी चढ़ी और स्वयं को गोली मार ली नहीं तो परिवार में ही किसी को गुस्से में गोली मार दी यह हालत अगर चलती रहेगी तो निश्चित तौर पर पुलिस के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा काम करना चुटिया ऑर्डिनेंस फैक्ट्री ने लाखों लाख रिवाल्वर और पिस्टल बनाकर इतने सस्ते में जनता को दे दी है अब तो मुश्किल यह हो जाता है की पुलिस चुनाव के वक्त या आपातकालीन स्थिति में हथियारों का हिसाब ही नहीं रख पाती और ना ही ठीक से उनको कभी जमा कर सकती है स्थानी लाइसेंस तो वह जानती है लेकिन बाहर के कितने लाइसेंस उसके क्षेत्र में है उसका वह पता कैसे लगाएं ऑल इंडिया लाइसेंस भी होता है प्रादेशिक लाइसेंस भी होता है और जिले का भी होता है तो आखिर वह किस तरह हिसाब लगाएं  ऑफिस जो घर के भीतर कमरे में जो वारदात हो रही हैं उसका पता पुलिस कैसे लगावे इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाना ही पड़ेगा आज नहीं कल मुझे याद आ रहा है कि जब मैं क्राइम रिपोर्टिंग करता था लखनऊ के एक बहुत बड़े व्यवसाई के घर में शादी होने जा रही थी और दिन में उनके यहां डकैती पड़ गई तीन चार हथियारबंद डकैत आए और लाखों का माल लूटकर दिनदहाड़े चंपत हो गए बाद में जब पुलिस और हम लोग पहुंचे तो उन दिनों कप्तान थे सुरेश पाल सिंह बहुत सख्त थे उन्होंने सबसे पहले व्यवसाई परिवार से पूछा आपके यहां हथियार कितने है पता चला 16 हथियार थे उन्होंने सबसे पहले उनके हथियार जप्त करवा लिए और उनको कैंसिल कर दिया उनका कहना था कि जब आपके घर में 16 हथियार थे और सैकड़ों लोग थे तो क्या आप इन हथियारों का अचार डाल रहे थे और वह नहीं माने और उन्होंने उनके सब हथियारों के लाइसेंस कैंसिल करवा दिए होना भी यही चाहिए कि अगर हथियारों का सही उपयोग नहीं होता है तो उनको कैंसिल कर दिया जाना चाहिए अगर मोहल्ले में कहीं लूट डकैती हत्या होती है तो उस मोहल्ले क्षेत्र में कितने लाइसेंस वाले हथियार हैं उनका ब्यौरा पुलिस लेकर उनके लाइसेंस कैंसिल कर दे काली पुलिस ने ठेका नहीं ले रखा है कि जब हथियार बेइंतेहा सब के पास हैं तो क्या अपने क्षेत्र की रक्षा नहीं कर सकते जिस समय वारदात हो रही है तो क्या वह बक्से में बंद करने या लाकर में रखने के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है इसी के साथ  यह भी हिदायत देनी चाहिए की लाइसेंस रखने वाला हथियार की हिफाजत इस तरह करें उसका उपयोग जल्दी कोई आत्महत्या या हत्या के लिए ना कर सके पुलिस को इस संबंध में एक बार ठीक से हथियारों का आंकड़ा जरूर एकत्र कर लेना चाहिए मेरी मानी जाए हालत इस समय यह है किसी भी थाना पुलिस चौकी को ठीक से क्या बिल्कुल नहीं मालूम है उसके क्षेत्र में कितने हथियार हैं क्योंकि क्षेत्र के हथियारों की तो जानकारी पुलिस को होती है लेकिन जो बाहर से आ जाते हैं वह तो थाने में जाकर अपने हथियार का विवरण नहीं देते वही हथियार घातक होते हैं अब  पुलिस प्रशासन और सरकार समझ ले कि जितना नुकसान अवैध हथियार कर सकते हैं अगर समय रहते लाइसेंसी हथियारों का सही विवरण ना तैयार किया गया तो वे पुलिस के लिए बहुत बड़ा सरदर्द बनेंगे बिना सोचे समझे पिछले 25 साल में बिना किसी हिसाब के जो लाइसेंस जारी किए गए हैं उनका एक बार तो कम से कम ठीक से हिसाब हो जाए वरना हमारी पुलिस आगे चलकर बहुत परेशान होगी मैं प्रदेश सरकार से भी चाहूंगा क्यों कारतूस ओं का हिसाब तो लगवा रही है साथ में जायज हथियारों का भी एक बार हिसाब लगवा ले इस संबंध में गृह सचिव अविनाश अवस्थी जी ने आदेश जारी किए हैं कि हर हथियार की दुकान वाले ठीक से विवरण रखें  हर माह उसकी जांच के भी आदेश दिए हैं यह बहुत सही कदम है अपराधियों को जो कारतूस दुकानों से सप्लाई हो रहे थे उन पर अंकुश लगेगा साथी अवस्थी जी को चाहिए किन्हीं लाइसेंसी हथियारों का भी एक सर्वे करवाकर सही आंकड़े रख तैयार कर लिए जाएं वैसे सरकार योगी जी की बहुत सख्त है गृह सचिव जी भी बहुत टाइट है लेकिन पिछली सरकारों ने जो रेवड़ी की तरह लाइसेंस बांटे हैं उनकी वजह से आज जनता और पुलिस दोनों की जान इन हथियारों ने खतरे में डाल रखी है घरों में परिवार के लोग मर रहे हैं यह सब बहुत अच्छा नहीं है आज की तनावपूर्ण जिंदगी में इस तरह हथियारों का खुलेआम घरों में रखना उचित नहीं है जिसके पास भी लाइसेंस है हथियार है वह होशियारी बरतें और नहीं तो लापरवाही हजारों जान ले चुकी है हजारों घर बर्बाद हो चुके हैं और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा इसके बारे में पुलिस को नहीं सोचना है ना सरकार को सोचना है जिन्होंने अपने घर में लाइसेंसी हथियार रखी है यह उनको सोचना ही पड़ेगा कि आज युवाओं महिलाओं सबकी सहने की शक्ति बहुत कम हो चुकी है ऐसे में घर में हथियार ना रखें ज्यादा अच्छा है रखें तो उसको इस ढंग से कि उसका गलत इस्तेमाल ना हो सके


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