जब प्रदेश के राज्यपाल और विधायक को ठगने वाले नटवरलाल को हम लोगों ने छोटी सी उम्र मैं पकड़वा दिया

आर डी शुक्ला द्वारा


यह बात सन 1970 की है जब हम लोग बेरोजगार हाई स्कूल इंटर पढ़ रहे थे उसी समय स्वर्गीय डीपी बोरा जी मेरे घर में रह रहे थे और वह भारतीय क्रांति दल चरण सिंह जी की पार्टी से विधायक हो गए थे लखनऊ पश्चिम क्षेत्र से हम लोग बहुत उत्साहित थे उस समय और बोरा जी पर नौकरी दिलवाने का दबाव बनाते थे एक दिन अचानक उन्होंने सूचना दी तुम्हारी नहीं तमाम और लोगों की नौकरी का इंतजाम हो गया है हम बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि महानगर के सेक्टर बी में एक एमपी साहब आए हैं वह आवश्यक वस्तुओं की बिक्री घर-घर करने के लिए केंद्र सरकार से एक पूरी स्कीम लेकर आए उनको बहुत आदमी रखने हैं लखनऊ में अब तुम लोगों की नौकरी पक्की हो जाएगी मैं बहुत खुश हुआ और यह भी हमने कहा कि क्या आपने 12 साथी को मैं भुला दूं उन्होंने कहा ठीक है बुला लो मैं अपने मित्र कुक्कू फिलिप्स को सूचना दे आया डीपी बोरा जी ने बताया कि कोई बात नहीं काफी लोगों का अपॉइंटमेंट होना है हमारे लगभग सभी कार्यकर्ता नौकरी पा जाएंगे उन्होंने बताया कि वह एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज गए थे वहां हम लोगों के नौकरी के संबंध में उन्होंने एंप्लॉयमेंट ऑफिसर से बात की तो ऑफिसर में बताया की बोरा जी आपके एक सांसद चक्रपाणि शुक्ला जी आजकल यहां एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज में लोगों का इंटरव्यू ले रहे हैं उनसे आप मिल लीजिए तो आपके लोगों की भी नौकरी लग जाएगी उन दिनों एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज चारबाग में हुआ करता था बोरा जी ने उनसे भेंट की तो उन्होंने बुरा जी को आश्वासन दिया कि तुम्हारे आदमियों को मैं रख लूंगा तुम मेरे ऑफिस महानगर में आओ मैं दिल्ली से एक ऐसी स्कीम लेकर आया घर-घर आवश्यक वस्तु मैं अपने वाहनों से भेजूंगा और मुझे काफी कर्मचारियों की इसमें आवश्यकता है या भारत सरकार की स्कीम है मैं लखनऊ से शुरू कर रहा हूं आप सोचें की असली मां आज भी सरकार की तरफ से तो नहीं लेकिन प्राइवेट तो चल रही है यह स्कीम उस समय चक्रपाणि शुक्ला जी लेकर आए थे लखनऊ में यह बिल्कुल सच्ची कथा है उसके बाद बोला साहब ने हमको चक्रपाणि जी सांसद जी से मिलाया उन्होंने हमसे काम शुरू करने को कहा उस समय हम लोग कुछ जानते नहीं थे सिर्फ इतना जानते थे कि वह बढ़िया कुर्सी लगाकर एक सरदार जी के यहां मकान लेकर गाड़ी पर घूमते हैं और हम लोगों को काम दे रहे हैं उनके पास दिन भर लोग इंटरव्यू देने आते थे बाद में डीपी बोरा जी भी उनके साथ इंटरव्यू में बैठने लगे मैं उनके प्राइवेट सेक्रेटरी की तरह काम करने लगा और मैंने अपने मित्र कुकू फिलिप्स को भी चक्रपाणि जी से कह के लगा लिया दिन भर उनके पास इंटरव्यू देने वाले लड़के लड़कियों की लाइन लगी रहती थी हम लोग बिल्कुल ही नादान थे बस वह हम लोगों को कल याद रखने के लिए और इंटरव्यू के लिए कागजात घरों पर भेजने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे इस बीच बोरा साहेब के एक और सगे कार्यकर्ता थे रहमान साहब वह चक्रपाणि जी के बहुत निकट हो गए हम लोग उनसे काफी जलने लगे चक्रपाणि जी को मक्खन लगाने के लिए हम लोगों में होड़ लग गई चुकी ऑफिस एक था छोटा था हम लोगों ने कहा सर कार्यालय छोटा है पता चला आज नरेश अग्रवाल जी का जो घर है वहां पर पहले किसी दूसरे का घर हुआ करता था दूसरे दिन उसको किराए पर उन्होंने ले लिया और बोले तुम लोग वहां बैठो हमारी जिम्मेदारी यह थी कि जितना भी सामान आ रहा था कार्यालय के लिए फर्नीचर अलमारी सामान उसका हिसाब रखना और जब चक्रपाणि जी कहे तो इंटरव्यू के लिए लोगों को बुलाना पूरे मोहल्ले क्षेत्र में मेरा रुतबा बन गया चारों ओर से मेरे ऊपर सोर्स लगने लगे कि नौकरी दिलवाने मैं बहुत खुश था हमसे ज्यादा डीपी बोरा जी खुश थे क्यों उनके सभी लोगों को नौकरी मिल गई इसी बीच चक्रपाणि जी रोज रात को कहीं गायब हो जाया करते थे और फिर इंटरव्यू के लिए कुछ फार्म छांट कर हम लोगों को उनको बुलाने के लिए भेज देते हैं फिर अचानक उन्होंने बताया उनकी और डीपी बोरा जी की भेट तत्कालीन राज्यपाल प्रदेश के अकबर अली जिसे हो गई है और 15 अगस्त के दिन आवश्यक वस्तुओं के वितरण का जो कार्य केंद्र सरकार द्वारा उनको सौंपा गया है डोर टू डोर सप्लाई का उसका उद्घाटन माननीय राज्यपाल जी करेंगे यह भी पता चला कि राजपाल जी ने चक्रपाणि जी का न्योता स्वीकार कर लिया अचानक 15 अगस्त आने से 1 सप्ताह पूर्व चक्रपाणि जी हम सबको यह बता कर की वे दिल्ली जा रहे हैं वहां से वह कार्ड छपवा एंगे और कुछ लोगों को मंत्रियों को बुला कर लाएंगे तब तक हम लोग झंडारोहण के तैयारी करें और यहां की व्यवस्था देखें उस समय तक उनके साथ एक अपना व्यक्ति था दो कुर्ते पजामे थे और एक सरदार जी का मकान लेकर उसमें उन्होंने ऑफिस बनाया था हम लोगों को एक बड़ी बिल्डिंग किराए पर ले कर दे दी थी जहां पर आज नरेश अग्रवाल जी की बिल्डिंग है सबसे पहले मेला वहां फोन भी लग गया इस पर रहमान जी बहुत नाराज हो गए उनका फोन नहीं लगा चक्रपाणि जी ने कहा परेशान ना हो गई आपका भी फोन लग जाएगा और दूसरे ही दिन वहां दो-तीन फोन लग गए पता नहीं कहां से लगातार खेलों पर अलमारियां एसी और सामान कालीन आने लगा जिसकी गिनती में करने लगा और सामान संभाल संभाल के रखवाली का जिम्मा मेरे पास था तब तक काफी लोग काम के लिए रख लिए गए थे फिर अचानक चक्रपाणि जी जो कि एक किराए पर सरदार जी की अंबेस्टर कार में दिलदार टहलते थे बिल्कुल वह नेता जी की तरह मोटे तगड़े दिखाई देते थे हम लोग सर सर करते-करते नहीं चूकते थे इसी बीच उन्होंने कहा कि अब मैं दिल्ली जा रहा हूं 14 अगस्त तक आ जाऊंगा तुम लोग सारे काम देखो यहां काम समान के अलावा कुछ था ही नहीं फिर भी हम लोग अपनी कुर्सी मेज पर रोज टाइम से आकर बैठ जाया करते थे और मोहल्ले में खूब रंगबाजी कर रहे थे क्योंकि उस ऑफिस के मुखिया थे चक्रपाणि जी अचानक वहां से गायब हो गए अब डीपी भोला जी ने  ऑफिस संभालना शुरू किया इसी बीच राज्यपाल जी के यहां से पायलट आने लगे उन्होंने रास्ते का जायजा लेना शुरू किया हम लोगों को वह झंडे का रोड वगैरह खरीद के दे गए थे हम लोग पक्का थे कि 15 तारीख को सारा कार्यक्रम होगा अचानक एक दिन रहमान साहब ने मक्खन लगाने के लिए कार्यालय के फोन से चक्रपाणि एमपी का फोन नंबर दिल्ली से पता करके मिला दिया और वहां उनको चक्रपाणि शुक्ला एमपी मिले उन्होंने रहमान जी को पहचानने से इंकार कर दिया और वह डांटते हुए बोले कि आखिर आप कौन हैं मैं बहुत परेशान हूं मेरे नाम से क्या हो रहा है मेरे पास उल्टे सीधे बुला रहे हैं तो उन्होंने कहा रहमान जी ने कि सर आप तो लखनऊ होकर गए हैं उन्होंने कहा मैं लखनऊ आया ही नहीं हूं मैं आपको जानता नहीं हूं यह क्या हो रहा है मेरे पीछे रहमान जी के होश फाख्ता हो गए इसी बीच डीपी बोरा जी अपनी पत्नी को अपना नया कार्यालय दिखाने लाए थे तभी रहमान जी ने बताया कि उन्होंने दिल्ली फोन मिलाया था वहां उनको असली चक्रपाणि सांसद मिले थे फोन पर और वह कह रहे थे कि हम तो लखनऊ आए नहीं यह हमारे नाम से क्या हो रहा है यह जालसाजी क्या हो रही है अचानक बीपी बोला जी को चक्कर आ गया उन्होंने ऑफिस का दरवाजा बंद करके इतने बड़े फ्रॉड का मामला सुनते ही अपनी खोपड़ी पकड़ ली और अपनी पत्नी से कहा अब वह इस समय घर जाएं हम लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा हो गया कोई बहुत बड़ा फ्रॉड कर गया है लाखों का सामान तब तक आ चुका था और लगातार समान आ रहा था हम लोगों ने कमरा बंद करके पूरी स्थिति का अवलोकन किया बुरा साहब ने कहा अब इस बेज्जती से कैसे बचा जाए सबसे पहले जिन लोगों को ए पॉइंट लेटर दिया गया था उनके घरों पर जाकर उनको सच्चाई बताई गई पुलिस को बताया तो गया लेकिन f.i.r. नहीं की गई जितने लोगों के समान थे उन सब को फोन करके बुलाया गया और बताया गया आपके साथ धोखा हुआ है इस बीच जब कार्यालय के मालिक मकान मालिक से बात की गई यह तो एक नटवरलाल था तो वो एकदम से पगला गए बोले हम से दो फटकार दिलाने के लिए ₹80000 ले गया है वह आदमी उस समय फिएट कार ब्लैक में मिलती थी या सरकार के कोटे से अब क्या था घर के अंदर ही अंदर कार्यालय में सब की हालत खराब हो गई डीपी बोला साहब अपनी इज्जत के लिए रोने लगे हम लोग सड़क पर आ गए चक्रपाणि जी जा चुके थे हम लोगों ने कार्यालय के भीतर से ही बिना शोर-शराबे के आगे की रणनीति बनानी शुरू की और रियल चक्रपाणि जी से दिल्ली में संपर्क बनाए रखा गया यह तय हुआ कि दिल्ली में वह छानबीन करवाते हैं और लखनऊ की हालत हम लोग देखेंगे इस बीच 15 अगस्त को 3 दिन बचे थे अचानक नकली चक्रपाणि एमपी का कोई आदमी आएगा इसके इंतजार में हम लोग बैठे इंतजार कर रहे थे अचानक उनका एक आदमी 15 अगस्त के राज्यपाल जी के इनविटेशन कार्ड छपवा कर कार्यालय पहुंचा हम लोगों ने उसको कार्यालय में ना बैठा कर सरदार जी मकान मालिक के घर में बैठा ला जबकि वह कार्यालय स्थिति देखना चाहता था लेकिन फिर भी हम लोगों ने उसकी खूब इज्जत की जब वह समझा कि यहां इन लोगों को अभी तक कुछ नहीं मालूम हुआ है तो उसने एक फोन दिल्ली करने के लिए कहा हम लोगों ने उसको फोन करने को दिया उससे अकबर होटल में फोन कहीं मिला ने की बात कही उसको हम लोगों ने जकड़ रखा था अचानक यह मालूम हुआ कि वह अकबर होटल मैं किसी से बात करना चाह रहा है दिल्ली में भाग्य बस कुकू फिलिप्स के भाई कुछ दिन पहले तक अकबर होटल में काम करते थे दिल्ली में कुकुर अपने मित्र से अकबर होटल में बात की और वहां उससे पूछा कि क्या वहां कोई शुक्ला एमपी उस होटल में रुके हुए हैं उसने छानबीन करके बताया कि हां यहां एक एमपी रुके हुए हैं हम लोगों ने तत्काल इसकी सूचना रियल एमपी  चक्रपाणि को शुक्ला को दी उन्होंने दिल्ली पुलिस को सचेत किया और दिल्ली पुलिस में अकबर होटल की घेराबंदी की शाम तक चक्रपाणि शुक्ला तो हाथ नहीं लगा लेकिन देर रात में नकली चक्रपाणि बड़ी गाड़ी से होटल में आया पुलिस ने उसको देखा अचानक वहां बैठे पुलिस के इंस्पेक्टर उसको पहचान लिया यह एक बहुत बड़ा ठग है और वह उसको पकड़ लिया पहले तो बहुत रॉक दिखाता रहा लेकिन बाद में उसकी पूरी पोल खुल गई कि वह एक बहुत बड़ा 420 है कई मामलों में वह पहले भी गिरफ्तार हो चुका था उसके पिता प्लैनिंग कमिशन में काम करते थे दिल्ली सरकार में वह सरकारी योजनाओं को पहले ही निकल वाला था जैसा कि वह लखनऊ में आकर कर रहा था लखनऊ आने से पहले हुआ कानपुर में लाखों का बिल असली चक्रपाणि शुक्ला के नाम बना चुका था उसकी वहां गिरफ्तारी हो गई दिल्ली में हम लोगों के प्राण बच गए डीपी बोरा जी की इज्जत बच गई जिस आदमी को उसने यहां भेजा था उसको पैसा देकर यह कहा था कि वह लखनऊ आकर यह देख कर उसको बताओ कि यहां किसी को उसके 420 ई का शक तो नहीं हुआ हम लोगों ने उसको ही गिरफ्त में ले लिया था बस वो यहीं से धोखा खा कर दिल्ली में हम लोगों की होशियारी से पकड़ा गया वह काफी पढ़ा लिखा और वकालत पास व्यक्ति था क्योंकि हम लोगों ने मुकदमा नहीं कायम कराया था सुबह दिल्ली के मुकदमे में गिरफ्तार किया गया उसके ऊपर वहां दर्जनों मुकदमे थे  बाद में पता चला कि वह देश का दूसरा नटवरलाल था उसने वहां भी थाने में हंसते हुए कहा था कि मैं तो वकालत पड़ा हूं जल्दी छूट जाऊंगा और बाद में सच ही पता चला कि वह छूट गया और फिर मध्यप्रदेश में आयकर अधिकारी बनकर पूरे मध्यप्रदेश में उसने अपने गिरोह के साथ छापे मारे खूब पैसा खाया लोगों से फिर पकड़ा गया उसने कहा था लखनऊ वाले तुम लोगों ने हमें पकड़ा दिया नहीं तो मैं सबको आदमी बना देता अगर वह न पकड़ा जाता  तो शायद हम लोग जेल में होते राज्यपाल अकबर अली से जब वह समय लेने गया था तो उनके सामने बैठ कर लो इस तरह से बात कर रहा था यह अकबर अली हम को नहीं पहचाना संसद में हम तुम कैसे बैठ कर बात करते थे ऐसी वाले से वह उनसे टाइम भी ले आया था आज के ठग राजभवन में घुस भी ना पाएंगे और वह राजपाल को न्योता दिया था विधायक को चरखी की तरह घुमा रहा था आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं उसकी इस हरकत को याद करके वह पकड़ा तो सिर्फ हम लोगों के एक चालाकी पर गया अकबर होटल में कुक्कू फिलिप्स का एक दोस्त काम करता था वरना उसको पकड़वा पाना नामुमकिन था


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